‘छऊ’ नृत्य को फिर एक मुकाम देने में लगी है यह संस्था..!!

‘छऊ’ नृत्य पश्चिम बंगाल, झारखंड एवं ओडिशा का प्रमुख लोकप्रिय नृत्य माना जाता है।

664

सरायकेला/रांची : झारखंड से विलुप्त होते ‘छऊ’ नृत्य को फिर से धार देने के लिए सरायकेला के बडा टांगरानी स्थित मां गंगा सेंटर फॉर आर्ट एण्ड एजुकेशन, ने सबके बीच आज भी ‘ छऊ’ नृत्य से झारखंडी परम्परा और संस्कृति को जिंदा रखने में लगा है। बता दे कि ‘छऊ’ नृत्य पश्चिम बंगाल, झारखंड एवं ओडिशा का प्रमुख लोकप्रिय नृत्य माना जाता है। लेकिन आज के समय में पश्चिम सभ्यता के कारण भारतिय तमाम लोक नृत्य दिन प्रतिदिन लुप्त होने के कगार पर खड़े हैं। लेकिन सरायकेला के बडा टांगरानी स्थित मां गंगा सेंटर फॉर आर्ट एण्ड एजुकेशन ने इस लोक नृत्य को हम सब के बीच जिन्दा रखने का भरपूर कोशिश कर रहा है। जो वास्तव में सराहनीय है। बता दे की झारखण्ड के अनेक लोक नृत्यों में  ‘छऊ’ नृत्य सबसे खास है इसने विश्व स्तर पर अपनी पहचान हासिल की है। इस नृत्य की उत्पत्ति झारखण्ड में ही हुई और पुरे विश्व भर में प्रचलित भी हुई। छऊ नृत्य जिसे लोग छौ- नाच से भी जानते हैं। दरअसल छऊ नृत्य झारखंड राज्य का एक लोक नृत्य है जो की पुरुष प्रधान नृत्य है। इसे भारत में कहीं कहीं मुखौटा नृत्य भी कहा जाता है। इस नृत्य को अधिकतर घरेलू समारोहों में तथा पर्व त्योहारों में देखने को मिलता है। सरायकेला जिला से ही छऊ नृत्य की उत्पत्ति हुई है। यहाँ से यह नृत्य मयूरभंज एवं पुरुलिया तक में फैला। अभी यह नृत्य सरायकेला, मयूरभंज एवं पुरुलिया जिले का मुख्य लोक नृत्य का सम्मान भी हासिल है। वही सरायकेला के बडा टांगरानी स्थित मां गंगा सेंटर फॉर आर्ट एण्ड एजुकेशन परिसर में ग्रामीण बच्चों द्वारा पहली बार भव्य छऊ नृत्य का प्रदर्शन किया गया।

छऊ अखाड़ा में विधिवत पूजा अर्चना के पश्चात नारियल फोड़ कर व दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का उदघाटन किया गया. इसके पश्चात कलाकारों ने छऊ नृत्य प्रदर्शित किया. छऊ गुरु विजय कुमार साहु के कुशल निर्देशन में बडा टांगरानी, छोटा टांगरानी एवं आस पास के गांवों के 60 बालक एवं बालिका कलाकारों छऊ नृत्य प्रदर्शित किया। बाल कलाकारों ने गणएश, मयूर, राधा कृष्ण, हर पार्वती, वाण विद्या, देवदासी, नाविक आदि नृत्यों की प्रस्तुति दे कर समां बांधा और दर्शकों की तालियां बटोरी। बाल कलाकारों द्वारा 15 नृत्यों की प्रस्तुति की गई। मांदर व नगाडे की थाप तथा शहनाई की धून पर बाल कलाकारों ने छऊ की सतरंगी छंटा बिखेरा। अधिकांश नृत्य पौराणिक व सामाजिक थीम पर आधारित थे। कलाकारों ने छऊ नृत्य के माध्यम से जीवन के हर रंग को प्रदर्शित किया। सरायकेला तथा पठानमारा पंचायत के कई गांव से सैंकड़ों कला प्रेमी उपस्थित होकर इन कलाकारों का हौसला बढ़ाया तथा नृत्य का लुत्फ उठाया। कार्यक्रम को सफल बनाने में मां गंगा आर्ट एंड एजुकेशन सेंटर के संयोजक तरूण सिंह, छऊ गुरु विजय कुमार साहु, वार्ड सदस्य प्रीतम कुमार सिंहदेव, अजय कुमार साहु, कैलाश सिंहदेव, दुर्योधन कुंभकार, जगन्नाथ सिंह देव, चन्दन सिंह देव तथा समस्त ग्रामीणों का सहयोग रहा।

 

विभिन्न क्षेत्रों में निशुल्क मंच प्रदान करते हुए उनके प्रतिभा को निखारना है : तरुण सिंह

इस दौरान मां गंगा आर्ट एंड एजुकेशन सेंटर के संयोजक तरूण सिंह ने कहा इस सेंटर का उद्देश्य ग्रामीण बच्चों के लिए अलग अलग क्षेत्रों में निशुल्क मंच प्रदान करते हुए उनके प्रतिभा को निखारना और उनका चहुमुखी विकास करना है। कम समय में ही संस्था द्वारा सुदूरवर्ती क्षेत्र के ग्रामीण बच्चों के लिए काउंसलिंग, मोटिवेशनल, टेक्निकल, खेल एवं कला से जुड़े अनेक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है। उन्होंने कहा कि आनेवाले समय में यह मील का पत्थर साबित होगा।

 

ग्रामीण बच्चो में प्रतिभा की कमी नहीं है, बस उन्हे मंच देने की आवश्यकता है : गुरु विजय साहू

छऊ गुरु विजय कुमार साहु ने कहा ग्रामीण बच्चो में प्रतिभा की कमी नहीं है, बस उन्हे मंच देने की आवश्यकता है। उन्होंने ग्रामीणों से अपील करते हुए कहा बच्चों को नियमित सेंटर भेजें, तभी वो भविष्य में अच्छे कलाकार बन सकते हैं। सभी कलाकारों को निशुक्ल रुप से छऊ की शिक्षा दी जा रही है। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में ओर बड़े पैमाने पर नवोदित कलाकारों छऊ नृत्य की शिक्षा दी जायेगी। उन्होंने कहा कि सरायकेला के कण कण में कला है। यहां के प्रतिभाओं को निखार कर आगे बढ़ाना है।