कर्मनाशा नदी पुल पर दो राज्यों के तीन ताजियों का हुआ मिलन, सैकड़ो वर्ष पुरानी परंपरा की रस्म हुई कायम

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बिहार: यूपी बिहार बार्डर स्थित कर्मनाशा नदी के पुल पर सैकड़ों वर्ष पुरानी परंपरा की रस्म इस वर्ष भी कायम हुई. नौबतपुर‌ यूपी तथा खजुरा, सरैयां बिहार के तीन ताजीयों का मिलन रस्मो रिवाज के अनुसार हुआ. यहां पर सैकङों की संख्या मे यूपी के नौबतपुर एवं बिहार के खजुरा सरैयां के हिन्दु व मुस्लिम बन्धु शामिल होकर आपसी मुहब्बत व भाईचारा की मिशाल पेश की तथा या अली या हुसैन की नारों की गूंज के साथ इमाम हुसैन की याद में नौहा ख्वानी पढी गई. रिवाजों के अनुसार यूपी के नौबतपुर एवं बिहार के खजुरा सरैयां गांव का ताजिया विशाल जुलूस के साथ 10 वीं मुहर्रम की भोर मे अपने चौक से उठकर जीटी रोड से होते हुए यूपी बिहार सीमा के कर्मनाशा नदी पुल पर पहुंचा जहां पर या हुसैन के नारों के बीच तीनों ताजिया का मिलन हुआ.

 

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काफी देर तक नौहा ख्वानी की सदाएं गूंजती रही बिहार के दोनों ताजिये के साथ लोग नौबतपुर के ताजिए को चौक तक पहुंचाए. वहां पर मुंह मीठा करने के बाद बिहार का दोनों ताजिया अपने अपने चौक पर लौट गया. फिर दोपहर एक बजे नौबतपुर का ताजिया बिहार के सरैया चौक पर पहुचा. यहां से दोनों ताजिया एक साथ खजुरा चौक पहुंचता. वहां से तीनों ताजिया एक साथ खजुरा पड़ाव स्थित हजरत अंजान शहीद बाबा के दरगाह के पास पहुंचा. जहां पर खिलाड़ी गदका, बाना, बनेठी आदि खेलों का शानदार प्रदर्शन किया खेल को देखने के लिए काफी तादाद में आसपास के लोगों की भीड़ जुटी रही. शाम ढलने के बाद तीनों ताजिया कर्मनाशा नदी पुल पर पहुंचकर मिलन करने के बाद अपने अपने कर्बला को प्रस्थान कर गए.