टाइटन की टाइटनिक नियति

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दुनिया में अमीरों के भी अजीबोगरीब शौक हुआ करते हैं। इस शौक के लिए सदियों से लोग क्या-क्या करते रहे हैं। कभी कोलोसियम बनाया जाता था तो कभी दासों के बच्चों को जानवरों की पीठ पर बाँधकर खेल देखा जाता था। ऐसे भी शासक हुए हैं जिन्होंने हाथियों तक को पहाड़ों से नीचे फेंककर तमाशा देखा है। नए युग में नव धनाढ्यों की टीम भी नया कुछ करने की सोचती रहती है। नया करतब देखने और दिखाने के क्रम में ही अमेरिका में नया नजारा देखा जा रहा है जहां टाइटनिक जहाज के टूटे हुए हिस्से को समुद्र में देखने की ललक ने एक नया इतिहास बना दिया है। खबर मिली है कि अमेरिका की एक निजी कंपनी ने अरबपतियों का शौक पूरा करने के लिए समुद्र की तलहटी में लगभग साढ़े 13 हजार फीट नीचे पड़े टाइटनिक जहाज के ध्वंसावशेष को दिखाने का बीड़ा उठाया है। इसमें पनडुब्बी में सवार होकर शौकीन लोग समुद्र में साढ़े 13 हजार फीट नीचे उतरते हैं जिसका किराया लगभग 1.5 लाख डॉलर देना पड़ता है।

इसी शौक को पूरा करने के लिए अमेरिकी धनाढ्यों ने एक निजी कंपनी की पनडुब्बी को किराये पर लिया तथा उतर गए समुद्र के तल पर। गहराई में उतरने वाली पनडुब्बी का अचानक ऊपर के नियंत्रण कक्ष से संपर्क टूट गया जिसके बाद अफरा-तफरी मची। अमेरिकी नेवी के अनुसार पनडुब्बी में महज चार दिनों तक गुजारा करने लायक ऑक्सीजन ही मौजूद था। लेकिन जब चार दिनों से अधिक का समय गुजर गया है तो प्रशासन ने सभी यात्रियों के मारे जाने की पुष्टि कर दी है। पुष्टि करने की वैज्ञानिक वजह भी है। दरअसल समुद्र का खारा पानी वैसे ही सामान्य जल से भारी होता है तथा जितनी गहराई में उतरा जाय, दबाव उतना ही बढ़ता जाता है। खारे पानी में उतरी पनडुब्बी किस हालत में ओझल हुई या उसमें कोई खराबी आई, इसका ठीक-ठीक पता नहीं चल सका है। लेकिन भौतिकी के साधारण नियम यही बताते हैं कि शायद पनडुब्बी के बाहरी सतह पर कोई चोट या छेद हुआ होगा जिससे पानी का दबाव उसके सतह पर अचानक बहुत ज्यादा बढ़ गया होगा। कोई भी खोखली वस्तु वायुमंडल में या कहीं भी रखी जाए तो उस पर लगातार दो तरह का बल काम करता है। एक है बाहर से भीतर की ओर लगने वाला बल तथा दूसरा अंदर से बाहर लगने वाला बल। एक सेंट्रीपीटल तथा दूसरा सेंट्रीफ्यूगल फोर्स कहलाता है। समुद्र विज्ञान के जानकारों का मानना है कि पनडुब्बी की सतह पर  बाओएंट फोर्स पनडुब्बी की क्षमता के अधिक हो गया होगा जिससे शायद उसमें आंतरिक विस्फोट (इनप्लोजन) हुआ होगा। ऐसे विस्फोट की हालत में किसी के भी बचने की उम्मीद नहीं होती। पनडुब्बी के टूटे हुए हिस्से भी मुश्किल से ही बरामद हो सकेंगे। दरअसल समुद्र में ऐसी घटनाएं अक्सर होती रहती हैं। बाओएंट फोर्स या उत्प्लावकता में हेरफेर के कारण ही समुद्र की तलहटी में रहने वाले जीव भी किसी शिकार का पीछा करते-करते अगर ऊपरी सतह पर चले आते हैं तो फिर नीचे नहीं जा पाते। उनके शरीर पर पड़ने वाला सामान्य दबाव जो नीचे होता है, वह ऊपर नहीं रहता जिससे उनका शरीर फटने लगता है, अंत में उनकी मौत हो जाती है। शायद टाइटनिक के टूटे हिस्से को देखने का रोमांच ही टाइटन को भी वहीं पहुंचा दिया है। इसे दुनियावी शौक का मर्मांतक अध्याय कहा जा सकता है। मृतकों के प्रति संवेदना के सिवाय दुनिया में केवल उनकी यादें ही रह जाएंगी। काश, धनी कहे जाने वाले लोग ऐसे शौक नहीं पालते।