कोलकाता / नई दिल्ली : चंडीगढ़ पीजीआई में कुछ छात्राओं ने ‘मन की बात’ का 100वां एपिसोड नहीं सुना था। पीजीआई प्रशासन ने उन लड़कियों को कार्रवाई करते हुए एक हफ्ते तक हॉस्टल और कैंपस के बाहर जाने पर रोक लगा दी थी।
इस मामले में बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की सांसद महुआ मोइत्रा ने एक ट्वीट किया है। उन्होंने ‘मन की बात’ को ‘मंकी की बात’ करार दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जैसे नर्सिंग की छात्राओं को सजा दी गई क्या मुझे भी सजा दी जाएगी।
बता दें, पीएम नरेंद्र मोदी के रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ का 100वां एपिसोड 30 अप्रैल को टेलीकास्ट हुआ था। बीजेपी नेताओं ने इसके लिए जगह-जगह रेडियो लगाए थे। पूरे देश में लोगों को इकट्ठा कर इस एपिसोड को सुनाया गया था।
चंडीगढ़ पीजीआई भी इस कार्यक्रम का आयोजन किया था लेकिन 36 छात्राओं ने इसे नहीं सुना। प्रशासन ने इन छात्राओं को सजा के रूप में हॉस्टल और पीजीआई कैंपस से 7 दिन तक बाहर नहीं निकलने का फरमान सुनाया था।
सोशल मीडिया पर पीजीआई के इस फरमान का विरोध भी हुआ था। अब टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने भी पर तंज कसा है।
महुआ ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि उन्होंने भी ‘मन की बात’ कार्यक्रम नहीं सुना। तो क्या इसके लिए उनको भी सजा भुगतनी होगी। उनको भी घर में कैद रहने को कहा जाएगा।
उन्होंने कहा कि मैंने ‘मंकी की बात’ कभी नहीं सुनी। एक बार भी नहीं। क्या मुझे भी सजा मिलने वाली है। मैं इस घटना से बहुत चिंता में हूं।
दरअसल, 30 अप्रैल को 36 नर्सिंग स्टूडेंट्स ने पीएम मोदी के ‘मन की बात’ कार्यक्रम में हिस्सा नहीं लिया। जबकि 100वें एपिसोड के कई दिन पहले ही एक लिखित आदेश जारी किया गया था। इसमें कहा गया था कि सभी को ये सुनना अनिवार्य है।
हर तरफ इस फरमान की जब चर्चा होने लगी तो एक दिन पहले पीजीआईएमआईआर ने अपने आदेश का बचाव किया। उन्होंने कहा कि कुछ नया नहीं था और न ही खास था। ऐसा हमारे पाठ्यक्रम का हिस्सा है।
हम लोग स्पेशल लेक्चर के लिए अतिथियों, विशेषज्ञों को आमंत्रित करते हैं। पीएम मोदी का 100वां एपिसोड भी उसी क्रम का हिस्सा था।