रांची : तीन दिवसीय दौरे पर झारखंड पहुंचीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज खूंटी में स्वयं सहायता समूह की दीदियों से संवाद करेंगी. बता दे कि महिला सम्मेलन का आयोजन केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के तहत ट्राइफेड द्वारा किया गया है. इस दौरान राष्ट्रपति लाइव डेमो बूथ और स्टॉल का भी दौरा करेंगी. कार्यक्रम में केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्री अर्जुन मुंडा, राज्य मंत्री रेणुका सिंह सरुता, राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी शामिल होंगे. बताया जाता है कि इस संवाद कार्यक्रम का उद्देश्य झारखंड की स्वयं सहायता समूह की जनजातीय महिलाओं के लिए आजीविका और स्वास्थ्य पर ध्यान केंद्रित करना है. इसमें तकरीबन 30 हजार महिलाएं शामिल होंगी. राष्ट्रपति के कार्यक्रम के दौरान सिकल सेल एनीमिया, टीबी, मलेरिया और कुपोषण पर जागरुकता पैदा करने के लिए हेल्थ कॉर्नर आयोजित किया जाएगा. एससीडी की स्क्रीनिंग भी होगी. ट्राइफेड, एनएसटीएफडीसी और भारत सरकार के अन्य विभागों के माध्यम से जनजातीय कला एवं शिल्प का लाइव प्रदर्शन होगा. जनजातीय उत्पादों का शिल्पवार प्रदर्शन और वीडीवीके स्टॉल लगाए जाएंगे. एनएसटीएफडीसी, एनएसआईसी, एनआईईएसबीयूडी, कौशल क्षेत्र परिषद, डाक विभाग और एमएसएमई मंत्रालय विभिन्न बूथ स्थापित करेंगे. कार्यक्रम के दौरान जनजातीय कला और शिल्प के लाइव प्रदर्शनों को प्रदर्शित करने वाले बूथ स्थापित करने की योजना है. इस आयोजन का उद्देश्य महिला उद्यमियों को वनों के बारे में बताना. उनके अधिकारों, वीडीवीके के लाभों, वित्तपोषण और बाजार के संभावित मार्गों व पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं के बारे में शिक्षित करना है.
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20 स्टॉलों पर जनजातीय उत्पादों का शिल्पवार प्रदर्शन किया जा रहा है. इसके लिए झारखंड-बिहार के 20 आपूर्तिकर्ताओं और वीडीवीके को उनके उत्पादों के साथ आमंत्रित किया गया है. इसमें देश भर के जनजातीय उत्पादों को प्रदर्शित करने के अलावा विभिन्न शिल्प वार स्टॉल शामिल हो रहे हैं. स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने के लिए जनजातीय समुदायों में प्रचलित आनुवंशिक या जीवन शैली की बीमारियां को लेकर जागरूक किया जाएगा. सिकल सेल एनीमिया, तपेदिक, मलेरिया, कुपोषण आदि पर जागरुकता पैदा करने के लिए हेल्थ कॉर्नर आयोजित किया जाएगा. एससीडी की स्क्रीनिंग भी आयोजित होगी. स्क्रीनिंग के बाद प्रभावित व्यक्तियों को रोगों और इसके प्रबंधन के शिल्प प्रदर्शन की व्यवस्था वस्त्र, बांस की टोकरी, जैविक खरसावां हल्दी (हल्दी) बनाने, योग मैट बनाने, सबाई घास उत्पाद बनाने, मोती खेती डेमो, सोहराई पेंटिंग, संगीत वाद्ययंत्र बनाने और लाह के आभूषण बनाने के लिए की गई है. भारतीय प्राकृतिक रेजिन एवं गोंद संस्थान द्वारा लाह की खेती को बढ़ावा देना, एनएसटीएफडीसी, एनएसआईसी, एनआईईएसबीयूडी, कौशल क्षेत्र परिषद डाक विभाग और एमएसएमई मंत्रालय के स्टॉल भी होंगे।बारे में निदान, परामर्श और जानकारी प्राप्त होगी.