खुशी और ग़म साथ,जलते घर का परवाह किये बगैर दूल्हा दुल्हन ने लिए 7 फेरे

नियति के आगे सब हुए विवश, जले हुए घर में ही नई दुल्हन का स्वागत कर निभाया गया परंपरा

207

चतरा : कहते हैं ना अगर नियति चाह ले तो आपकी गम खुशी में बदल सकती है और खुशी गम में भी। नियति के आगे हर कोई बेबस और लाचार है। ऐसा ही वाक्या थाना क्षेत्र के तेलियाडीह पंचायत के असनालेबड़ गांव मे देखने को मिल। जहां घर में दो बेटों की शादी की खुशी गम में तब्दील हो गई। घटना को लेकर मिली जानकारी के अनुसार गांव के इंद्रदेव यादव के दो बेटे रंजीत व संजीत यादव की शादी बुधवार की रात होनी थी। जिसको लेकर परिवार के सभी सदस्य बुधवार की देर शाम लातेहार के नगर भगवती मंदिर परिसर में शादी संपन्न कराने के लिए गए थे। इस बीच घर के देखरेख के लिए बड़े भाई जितेंद्र यादव को जिम्मेवारी दी गई थी। लेकिन आधी रात को घर में अचानक आग लग गई। घटना को लेकर बताया जा रहा है कि बड़ा भाई जितेंद्र रात्रि में घर का मुख्य दरवाजा लगाने के लिए बाहर निकला तो घर के छत पर आग लगा देखा। जिसके बाद आनन-फानन में इसकी सूचना आसपास के ग्रामीणों को और बारात में गए लोगों को दी। जब सूचना दी गई तब दूल्हा-दुल्हन सात फेरे ले रहे थे। जब लोगों को घर मे अगलगी की जानकारी मिली तो शादी की खुशी गम में तब्दील हो गई। आनन-फानन में बाराती शादी से दूल्हा दुल्हन को छोड़ वापस घर आ गए। तब तक ग्रामीणों ने अगलगी की सूचना स्थानीय थाना पुलिस को दे दी थी। जिसके बाद पुलिस ने मौके पर फायर ब्रिगेड की 3 गाड़ियों को घटनास्थल पर भेजी। जिसके बाद आग बुझाने की कवायद शुरू की गई लेकिन आग बुझाते बुझाते दो गाड़ियों में पानी पूरी तरह समाप्त हो गया फिर भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका। जिसके बाद एक अन्य गाड़ी से फायर ब्रिगेड की टीम ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। इस घटना में इंद्रदेव यादव और दशरथ यादव का घर पूरी तरह जल गया जबकि एक अन्य ननकू यादव का घर जलते जलते बचा। हालांकि समय रहते फायर ब्रिगेड की टीम नही पहुंचती तो तीसरा घर भी पूरी तरह आग की चपेट में आ जाता। पीड़ित परिवार के अनुसार इस घटना में घर में लगाएं टेंट गद्दे गहने नकदी मोटरसाइकिल व कपड़े समेत अन्य सामान जलकर पूरी तरह खाक हो गया। बताया जा रहा है कि घटना में पीड़ित परिवार का लाखों रुपए का नुकसान हुआ है।

 

ये भी पढ़ें : Pakistan Violence : पाकिस्तान में लागू होगा मार्शल लॉ, जानिये क्या होता इसका मतलब

 

जले हुए घर में दुल्हन का स्वागत कर निभाई गई परंपरा

शादी संपन्न कर जब अहले सुबह दोनों दुल्हन घर पहुंची तो परिछावन और द्वार प्रवेश की परंपरा करनी थी। ऐसी स्थिति में जिस घर में परिछावन और द्वार प्रवेश की परंपरा होती वह घर दुल्हन के पहुंचने से पहले ही जल गया था। लिहाजा जले हुए घर में ही दोनों दुल्हनों का प्रवेश करवाया गया। इस दौरान जिसने भी इस दृश्य को देखा सभी की आंखें नम थी। जिस घर में बरात निकलते वक्त बैंड बाजे और डीजे की धुन पर लोग थिरक रहे थे उस घर में दुल्हन के आने पर गम का माहौल था। इधर पड़ोसियों ने मानवता का परिचय देते हुए नवविवाहित दंपति समेत परिजनों को अपने घर में पनाह दी है। जले हुए घर में दुल्हन के स्वागत की घटना पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।

 

सरकार और अधिकारियों से मदद की गुहार

घर में अगलगी की घटना होने के बाद पीड़ित परिवार के पास ना तो खाने के लिए अनाज है और ना ही रहने के लिए कोई ठिकाना। ऐसे में परिवार वालों के साथ घर आई दोनो नई दुल्हनों के साथ भी एक बड़ी समस्या उत्पन्न हो गई है। फिलहाल पीड़ित परिवार सरकार और जिले के पदाधिकारियों से मदद की गुहार लगा रहे हैं। अब देखना यह होगा कि जिले के पदाधिकारी कब तक पीड़ित परिवार को मदद पहुंचाते हैं।