रांची : रांची के मेडिका अस्पताल के डॉक्टरों ने दो साल के बच्चे के आंख में हुए कैंसर के सफल इलाज कर बच्चे को नया जीवन दिया है। यह बच्चा दुमका जिले के शिकारीपाड़ा भुगतानडीह का रहने वाला है। बच्चे के पिता का नाम सोनीराम हेंब्रम है।
बच्चे के आंख के कैंसर का इलाज मेडिकल ऑकोलोजिस्ट डॉ गुंजेश कुमार सिंह, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ विनोद और हेड एंड नेक ओंको सर्जन डॉ मदन प्रसाद गुप्ता ने संयुक्त रूप से की।
दुमका के संथाली समुदाय से आने वाले सोनीराम हेंब्रम ने बताया कि लगभग चार महीने पहले एडवांस्ड स्टेज के कैंसर होने का पता चला। ट्यूमर की वजह से पूरा नाक और आंख एवं मुंह का बायां हिस्सा बुरी तरह प्रभावित हो गया था।
सांस लेने में उसे काफी परेशानी हो रही थी। शरीर में खून की भी काफी कमी थी। जिसके बाद सोनीराम ने कोलकाता से लेकर दिल्ली एम्स सहित कई अस्पतालों में लाखों रुपये खर्च कर इलाज कराया।
पर इस इलाज का कोई फायदा नहीं हुआ। उसकी इस परेशानी को कई लोगों ने सोशल मीडिया पर शेयर किया। जिसका संज्ञान लेते हुए सीएम की पहल पर वह आठ दिसंबर को रांची के मेडिका अस्पताल पहुंचा। जहां उसका इलाज शुरू हुआ।
बच्चे के मेडिका अस्पताल पहुंचते ही मेडिकल ऑकोलोजिस्ट डॉ गुंजेश कुमार सिंह और चाइल्ड स्पेशलिस्ट डॉ विनोद ने इलाज शुरू कर दिया। समस्या की वजह से बच्चा खाना नहीं खा पा रहा था।
इस परेशानी का समाधान निकालते हुए बच्चे को हर छह घंटे बाद ब्लड ट्रांसफ्यूजन और ट्यूब की मदद से आहार पोषण देना शुरू किया. हेड एंड नेक ओंको सर्जन डॉ मदन प्रसाद गुप्ता ने नाक की बायोप्सी की. वहीं डॉ गुंजेश ने बिना समय गवाए उसकी कीमोथेरेपी शुरू की।
एक हफ्ते बाद जब बायोप्सी की रिपोर्ट आई तो आंख में पॉक सैक ट्यूमर (विलक्षण किस्म का कैंसर) होने की पुष्टि हुई। वहीं डॉक्टरों ने देखा कि कीमोथेरेपी का असर हो रहा है. धीरे धीरे उसके ट्यूमर का आकार भी कम होने लगा। वह नाक से सांस लेने लगा और उसे नींद भी आने लगी।कीमोथेरेपी की दूसरी साइकिल 29 दिसंबर से शुरू हुई।
बताते चलें कि पिता सोनीराम हेंब्रम ने अपने स्तर पर लाखों रुपये खर्च कर कोलकाता, दिल्ली और न जाने कहां-कहां इलाज कराया। लेकिन उसका कोई लाभ नहीं मिला। फिर उसे रांची ले जाने की सलाह मिली।
इस बीच हबीन मुर्मू, मुकेश और फ्रांसिस मुर्मू जैसे कुछ लोगों ने वीडियो बनाकर सोशल साइट्स पर डाला और मुख्यमंत्री को ट्वीट भी किया। दुमका डीसी एवं सिविल सर्जन के द्वीट के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पहल से बच्चे का इलाज हुआ।
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