Union Budget 2023: 7 लाख रुपये के इनकम पर कोई टैक्स नहीं

नए टैक्स रिजिम के तहत टैक्स स्लैब में बड़ा बदलाव

160

नई दिल्लीः टैक्सपेयर्स के लिए बड़ी राहत का एलान किया गया है। अब नई इनकम टैक्स रिजिम के तहत 7 लाख रुपये तक आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा जो अब तक 5 लाख रुपये था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने नई टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्सपेयर्स को बड़ी राहत दी।

नई इनकम टैक्स व्यवस्था के तहत टैक्स छूट की सीमा को 7 लाख रुपये कर दिया गया है।

नए टैक्स रिजिम का नया टैक्स स्लैब 

खास बात ये जेहन में रखनी है कि जिनकी आमदनी 7 लाख रुपये तक है, उन्हें एक रुपये भी टैक्स नहीं देना होगा। लेकिन उनकी आमदनी 7 लाख से एक रुपये भी बढ़ जाती है तो उन्हें टैक्स देना होगा और वो टैक्स की रकम सिर्फ एक रुपये पर नहीं बल्कि 3 लाख से ऊपर की पूरी आमदनी पर देनी होगी।

इसे भी पढ़ेंः 2013 में यूपीए सरकार में क्यों भूल गए स्थानीय व नियोजन नीति बनाना, बाबूलाल का सीएम से सवाल

यानि जिनकी आमदनी 7 लाख से ज्यादा है उन्हें नई इनकम टैक्स व्यवस्था के तहत अब  3 लाख रुपये तक के आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा। 3 से 6 लाख रुपये तक के इनकम पर 5 फीसदी टैक्स देना होगा। 6 से 9 लाख रुपये तक के आय पर 10 फीसदी, 9 से 12 लाख रुपये तक के आय पर 15 फीसदी, 12 से 15 लाख रुपये तक के आय पर 20 फीसदी और 15 लाख रुपये से ज्यादा आय पर 30 फीसदी इनकम टैक्स देना होगा।

मौजूदा टैक्स स्लैब 

नई इनकम टैक्स रिजिम में 2.5 लाख रुपये तक के आय पर कोई टैक्स नहीं देना होता है। 2.50 से 5 लाख रुपये तक के आय 5 फीसदी टैक्स लगता है जिसमें 87ए के तहत रिबेट का प्रावधान है। 5 से 7.50 लाख रुपये के आय पर 10 फीसदी, 7.50 से 10 लाख तक के आय पर 15 फीसदी, 10 से 12.50 लाख रुपये के आय पर 20 फीसदी, 12.5 से 15 लाख तक के आय पर 25 फीसदी और 15 लाख रुपये से ज्यादा के आय पर 30 फीसदी टैक्स देना होता है।

नई टैक्स को लेकर टैक्सपेयर्स में थी बेरुखी

नए इनकम टैक्स रिजिम में 2.5 लाख रुपये तक के सलाना आय वालों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है लेकिन पुराने टैक्स रिजिम में 7.5 लाख रुपये तक कमाई करने वाले टैक्स देने से बच जाते हैं। ज्यादातर लोग इसी कैटगरी में आते हैं और इसलिए नए इनकम टैक्स रिजिम का चुनाव करने के लिए इंसेटिव नहीं है।

इनकम टैक्स की नई व्यवस्था में भले ही टैक्स दरें कम हो लेकिन होम लोन के मूलधन या ब्याज या बचत पर टैक्स छूट के अलावा स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ नहीं मिलने के चलते टैक्सपेयर्स को नई व्यवस्था लुभा नहीं पा रही थी।

2021-22 एसेसमेंट ईयर में 5 फीसदी से भी कम टैक्सपेयर्स ने इनकम टैक्स की नई व्यवस्था के तहत इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल किया था। यही वजह है कि वित्त मंत्री ने नई इनकम टैक्स व्यवस्था को आकर्षक को बनाने के लिए टैक्स स्लैब में बड़ा बदलाव किया है।