छत्तीसगढ़ समाज की अनोखी रीत,गुड्डे गुड़ियां की हुई शादी

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जमशेदपुर : गुड्डे गुड़ियों की शादी आपने बचपन में रचाई होगी जो हर किसी के लिए काफी आम है..बचपन में अपने गुड्डे गुड़ियों के शादी के लेकर हर छोटा बच्चा कई तरह की आयोजन करता है, वो अपने गुड्डे गुड़ियों के लिए छोटे छोटे मंडप, छोटे छोटे बर्तन और भी ना जाने क्या क्या खास करता है. इसके साथ ही देश में अक्ति का त्यौहार भी इसे के लिए मनाया जाता है. इसी दौरान जमशेदपुर के भालुबासा क्षेत्र में छतीसगढ़ी समाज ने इस परंपरा को निभाते हुए गुड्डा गुड़िया की शादी कराई. इस अनोखी शादी में बैंड बाजा के साथ गुड्डा बारातियों के साथ गुड़िया के घर पहुँचा. जहां बारातियों का स्वागत किया जाता है. वैसे इस अनोखी शादी में समाज के बुजुर्ग महिला पुरूष और बच्चे भी शामिल रहे. वही भालुबासा निवासी ढेला बाई और लक्ष्मण यादव के घर पर अक्ती तिहार उत्सव मनाया गया. ढेला बाई की गोद में दुल्हन यानी गुड़िया को रखा गया. तो लक्ष्मण यादव के गोद में दुल्हा यानी गुड्डा को बैठाया गया. जहां विधि विधान के साथ गुड्डा-गुड़िया की शादी रचायी गयी. छोटे-छोटे बच्चों से लेकर युवतियां सज धज कर इस शादी में शामिल हुए. इसके पहले मटकोर और हल्दी का रस्म निभायी गयी.

 

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शाम में भालुबासा से गाजे-बाजे के साथ बारात निकली. जो भालुबासा शीतला मंदिर से होते हुए रोड नंबर-3 में पहुंची. इस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की पत्नी रुक्मिणी देवी शामिल हुई, शादी के बाद उन्होंने दुल्हा दुल्हन को आशीर्वाद दिया. मंत्रोच्चारण के साथ शादी संपन्न करायी गयी. इस दौरान सिंदूर दान, मंगलसूत्र पहनाया गया. शादी के बाद आये हुए अतिथियों ने विवाह भोज का आनंद उठाया. जमशेदपुर में मिनी हिंदुस्तान बसता है.. यहां हर जाति- संप्रदाय और भाषा के लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर और विरासत का पूरा लुफ्त उठाते हैं. वैसे मान्यता है कि खेतों में लगे फसल जब खलिहान पर आ जाते हैं, उसके बाद गुड्डे- गुड़ियों की शादी का आयोजन किया जाता है.. जिसमें शादी की सभी रस्में निभाई जाती है. जो भी हो पर हमारे देश की यही तो पहचान है.यहां पर्व अपने आप में बेहद खास होते है.