राज्य के विश्वविद्यालय शिक्षक हुए उग्र, देवघर कॉलेज के सामने जमकर लगाए नारे –

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देवघर : राजभवन द्वारा पहली बार जारी अवकाश कैलेंडर के विरोध में झारखंड के शिक्षक सभी जगह गोलबंद हो रहे हैं. विश्वविद्यालयों और कालेजों के शिक्षकों का यह आंदोलन राज्य के सुदूर इलाकों तक पहुंच गया है. गुरुवार को देवघर स्थित ए एस कॉलेज गेट के बाहर शिक्षकों ने जमकर नारे लगाए और कहा कि शिक्षा पर किसी की मनमानी नहीं चलने दी जाएगी. शिक्षकों ने कहा कि हमारे साथ धोखा हुआ है. अचानक तय अवकाश को री शिदयुल करने से एकेडमिक प्लान चरमरा गया है. हमारे देश के अन्य राज्यों के यूनिवर्सिटी की तरह बीस नहीं चालीस दिन का अवकाश चाहिए. कालेज शिक्षकों ने इस नीति के समर्थन में राज्यपाल से मांग की और कहा कि किसी प्रकार की मनमानी नहीं होनी चाहिए. हमलोग कल को गढ़ते है. जिससे देश राज्य और अपने समाज का नाम होता है.राज्यपाल सचिवालय द्वारा घोषित अधिसूचना के आधार पर विश्वविद्यालय ने कॉलेज शिक्षकों की पूर्व घोषित छुट्टियों को बिना किसी को विश्वास में लिये रद्द कर दिया है, इसके खिलाफ ए एस महाविद्यालय के सभी शिक्षक गण स्कमुटा इकाई महासंघ के आह्वान पर 22 मई से 28 मई तक काला बिल्ला लगा कर कार्य करेंगे साथ ही 29 मई को कलम बंद सांकेतिक प्रतिरोध और 30 मई को सामूहिक अवकाश में रहेंगे.

 

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गौरतलब है की यूजीसी एक्ट के अनुसार शिक्षक वर्ग वकैशनल संवर्ग में आते हैं और शोध तथा अन्य अकादमिक कार्यो के लिये उन्हे छुट्टी दी जाती है,जबकि इस नई घोषित अधिसूचना में गजट में प्रकाशित शिक्षकों की 50 प्रतिशत छुट्टिया काट दी गई और उन्हे शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की तरह नन वकैशनल वर्ग के तर्ज पर रख दिया गया है,शिक्षकों ने ये मांग भी रखी है की अगर उनको नन वकैशनल वर्ग की तरह समझा जा रहा है तो उन्हें 16 आकस्मिक अवकाश और 45 दिन की अर्न लिव दिया जाये, शिक्षकों ने इस बात पर आपत्ति जताई की जिस तानाशाही रवैया से शिक्षकों की छुट्टी काटी गई उसी तेजी से शिक्षकों की प्रमोशन, पेंशन, एजीपी जैसी समस्या का निदान कर पाती तो शिक्षक भी इस पर गंभीरता से विचार करते। जबकि 2008 में नियुक्त शिक्षकों को 16 साल की सेवा के बाद भी आज तक कोई प्रमोशन नहीं मिला है, राजभवन और सरकार कॉलेज शिक्षकों को केवल कर्तब्य का पाठ पढ़ाती है जबकि उनके अधिकारों पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है, बता दे कि इस आंदोलन में स्कमुटा कॉलेज इकाई सचिव डॉ पुष्पलता, सह सचिव डा किरण पाठक, डा टी पी सिंह, डा रंजीत कुमार बरनवाल, डा भारती प्रसाद, डा राहुल सिंह,डा अरविंद झा, डा वत्सला पन्ना, डा पामेला, डा अम्बर केरकेट्टा, डा अभय ,पायल प्रियदर्शनी ,अनिल कुमार ,डॉ जानकी सिंह ,डॉ राजेश एवं अन्य शिक्षकों ने काला बिल्ला लगा कर राजभवन और विश्वविद्यालय के निर्णय पर अपना प्रतिरोध जाहिर किया.