जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महा अधिवेशन मंच पर बवाल

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि सबसे पहले लाइला अल्लाह की आवाज भारत की धरती पर उतरी थी।

98

नई दिल्ली ।  दिल्ली के रामलीला मैदान में जमीयत उलेमा-ए-हिंद के महा अधिवेशन का आज तीसरा दिन है। ऐसे में अधिवेशन में बोलते हुए मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि सबसे पहले लाइला अल्लाह की आवाज भारत की धरती पर उतरी थी।

यह भी पढ़े : कांग्रेस और कम्युनिस्ट त्रिपुरा में इलू-इलू कर रहे हैं : अमित शाह

सबसे पहले इस धरती पर आदम और मनु थे। उन्होंने एक ओम यानी एक अल्लाह की इबाबत की। मदनी ने कहा कि एक ओम, एक अल्लाह की इबादत करो और इसके सिवाय किसी की नहीं। हमने तो मनु की चौखट पर सिर रखा हुआ है, हम कहां जाएंगे?।

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि आरएसएस चीफ मोहन भागवत कहते हैं कि मुसलमान चाहें तो अपने घर लौट जाएं। अपने पूर्वजों के पास लौट जाएं। हमारा सबसे बड़ा पूर्वज तो मनु हैं। हम किसी को छेड़ते नहीं। मैं आज पहली दफा मजहब पर बोल रहा हूं। मैं कहता हूं कि तुम जाहिल हो। तुम इस मुल्क की तारीख को नहीं जानते। हम 1400 साल से इस मुल्क में रह रहे हैं। हमें किसी ने छेड़ा नहीं. तुम्हारे परदादा हिंदू नहीं थे, मनु थे। वो ओम की इबादत करते थे। इस मुल्क का एहतराम करो।

यहां एक साथ रहते हैं हिंदू-मुस्लिम

बता दें कि जमीयत उलमा-ए-हिंद के आम अधिवेशन का आज तीसरा दिन है और आज ही के दिन सभी प्रस्तावों की घोषणा की जाएगी। जमीयत उलमा-ए-हिंद ने भूकंप ग्रसित तुर्की के लिए एक करोड़ रूपए राहत की घोषणा की है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के जनरल सेक्रेटरी हकीमुद्दीन कासमी ने यह घोषणा की है। इस अधिवेशन में आए मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि इस मुल्क के अंदर हम और आप हैं, गांव, दरगाह हैं। हिंदू-मुस्लिम सब एक साथ रहते हैं। हमने कभी किसी धर्म के आदमी से अपना धर्म छोड़कर इस्लाम को अपनाने को जबरदस्ती नहीं की।

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि तमाम मुल्क में कम्युनिज्म ने मस्जिदें तोड़ दीं। उनको लगा कि इस्लाम का जनाजा निकल जाएगा, लेकिन ऐसे नहीं हो सका। इस्लाम खत्म नहीं हो सकता है। कोई धर्म ऐसे खत्म नहीं किया जा सकता। हमारे देश में बीजेपी की हुकूमत भी आई। हमने कभी उनके मुंह से यह नहीं सुना कि 20 करोड़ मुसलमानों को घर वापस करो। ऐसा कहने वाले लोग न तो अपने मुल्क को जानते हैं और न ही अपने मजहब को। वो जाहिल लोग हैं।

जब न श्रीराम थे, न शिव थे, तब मनु पूजते किसको थे?

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि अरब की सरजमीं में आखिरी पैगम्बर मोहम्मद को उतारा, लेकिन नबी को भारत की धरती पर उतारा। आदम जो सबसे पहले आदमी हैं, वो आसमान से उतरे। वो किसकी पूजा करते थे, यह मैंने सभी धर्म गुरुओं से पूछा। कई ने कहा कि हम उसे मनु कहते हैं। अंग्रेज उन्हें एडम कहते हैं। जब न श्रीराम थे, न शिव थे, तब मनु पूजते किसको थे? कहते हैं कि ॐ को पूजते थे। बहुत लोग कहते हैं कि मनु कुछ नहीं थे। इन्हीं को तो तुम ईश्वर कहते हो और हम अल्लाह कहते हैं।

मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि शरीयत अलग-अलग है, लेकिन दीन एक ही है। मैं फिरकापरस्ती का मुखालिफ हूं। हर जगह आपको प्यार और मुहब्बत का पैगाम देना चाहिए। वहीं मौलाना अरशद मदनी के ‘अल्लाह और ओम एक हैं’ वाले बयान पर जैन मुनि लोकेश ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि एकता के सम्मेलन को पलीता लगा दिया गया है। मैं अरशद मदनी की बात से सहमत नहीं हूं। उन्होंने कहा कि मैं इस मंच का बहिष्कार करता हूं, जिसके बाद कई दूसरे धर्मगुरुओं ने मंच छोड़ दिया।