कोलकाता : तस्करी-बलात्कार की शिकार बशीरहाट की युवती को केंद्रीय योजना ‘यौन उत्पीड़न/अन्य अपराध की शिकार महिला पीड़िताओं के लिए मुआवजा योजना’ के तहत मुआवजा मिलने जा रहा है। अपराध की शिकार महिलाओं के पुनर्वास के लिए सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के बाद 2018 में राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (‘नलसा’) द्वारा मुआवजा योजना बनाई गई थी। बावजूद पांच साल में भी यह परियोजना पश्चिम बंगाल में शुरू नहीं हो सकी थी।
इसे लेकर हाई कोर्ट के सख्त रवैये के बाद यह पहली बार है जब बशीरहाट की पीड़िता को योजना के तहत मुआवजा मिलने जा रहा है। बता दें कि बशीरहाट की युवती की महाराष्ट्र में तस्करी कर दी गई थी जिसके तीन महीने बाद उसे छुड़ाया गया था। वहीं बशीरहाट कोर्ट ने अपील को स्वीकार कर लिया और मुआवजे के निर्धारण और भुगतान के लिए उत्तर चौबीस परगना जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण (‘नलसा’) भेज दिया है। बता दें कि जज मौसमी भट्टाचार्य ने राज्य में अब तक ‘नलसा’ की 2018 की योजना अब तक शुरू नहीं होने पर भारी नाराजगी व्यक्त की। योजना के मुताबिक जज ने राज्य सरकार को पीड़िता को सात लाख रुपये का मुआवजा तत्काल देने का निर्देश दिया है।
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उल्लेखनीय है कि हत्या-बलात्कार, अंगभंग, तेजाब हमले, मानव तस्करी जैसी घटनाओं में पीड़ितों को मुआवजा देने के लिए 2012 में एक मुआवजा योजना शुरू की गई थी, भले वह पुरुष और महिला कोई भी हो। हालांकि, मुआवजा देने में सरकार और निचली अदालतों की उदासीनता और लापरवाही की शिकायतें बार-बार आती रही हैं।
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की नवीनतम रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में, पश्चिम बंगाल में 1,919 मौतों के साथ 1,884 दर्ज हत्याएं हुईं। एक्सीडेंटल डेथ के 246 मामले, लापरवाही से मौत के 4885 मामले, जानमाल के नुकसान के 5425 मामले। 471 लोग जुए में मारे गए। गर्भपात के कारण भ्रूण हानि के 24 मामले हैं। मानव तस्करी के 29 दर्ज मामले, 43 तस्करी के शिकार हैं। तेजाब से 34 लोग प्रभावित हैं और 1123 बलात्कार पीड़ित हैं। फिर उस वर्ष (2021) में पश्चिम बंगाल में आपराधिक अपराधों के लिए सजा की दर केवल 6.17 प्रतिशत है। इस स्थिति में, अधिवक्ताओं को उम्मीद है कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों में ‘नलसा’ योजना (जहां मुआवजे की राशि भी अधिक है) शुरू करने के उच्च न्यायालय के हालिया आदेश का असर दूरगामी होगा।