आदमखोर तेंदुआ को मारने की अनुमति का इंतजार

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गढ़वा : गढ़वा जिला के रमकंडा, रंका और भंडरिया के अलावा चिनिया प्रखंड में आतंक का पर्याय बने आदमखोर तेंदुआ को मारने की अनुमति अभी तक नहीं मिली है। वन संरक्षक दिलीप कुमार यादव की अध्यक्षता वाली कमेटी नेप्रस्ताव पारित कर पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ को तेंदुआ को मारनेकी अनुमति मांगी है।

प्रस्ताव 10 जनवरी को पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ को भेजा गया है। डीएफओ शशि कुमार नेबताया कि अबतक तेंदुआ को मारनेके प्रस्ताव पर अनुमति नहीं मिली है। अनुमति मिलते ही अग्रेत्तर कार्रवाई की जाएगी। इधर, तेदुआ के पकड़ मेंनहीं आनेसेलोगों मेंदहशत है। डीएफओ नेबताया कि बुधवार रात तेंदुए ने पिजडे़ में बांधे गए जंगली जानवर पर हमला कर मारने के बाद उसे खाया नहीं।

गौरतलब हैकि आमदखोर तेंदुआ को ट्रेंकुलाइज करने की अनुमति पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ की ओर से 28 दिसंबर को ही भेज दी गई है। 13 दिसंबर से अबतक लगातार लोकेशन बदलने के कारण उसे ट्रेंकुलाइज करने या पिंजड़े में पकड़ने में सफलता नहीं मिल रही है।

डीएफओ ने बताया कि तेंदुआ काफी शातिर है। उसे फंसाने के लिए लगाए गए पिंजड़े के पास से वह गुजर तो रहा है, पर वह उसमें रखे जानवर का शिकार करने नहीं पहुंच रहा है। उन्होंने बताया कि अबतक के लोकेशन के आधार पर आदमखोर तेंदुआ के रमकंडा प्रखंड के बैरिया गांव के करीब 49 वर्ग किमी में होने का अनुमान है।

बैरिया में आदमखोर तेंदुआ ने बांध कर रखे गए जंगली जानवर पर हमला कर मार दिया पर वह उसेखाया नहीं। यह आश्चर्यजनक है। बकौल डीएफओ आदमखोर तेंदुआ नेअंतिम बार रमकंडा थाना के कुशवार गांव में 12 वर्षीय बच्चेको मारा था।

उसके बाद से उसने किसी तरह के जानमाल को नुकसान नहीं पहुंचाया है। संभव है वह जंगल में ही भूख मिटाने के लिए छोटे जंगली जानवरों का शिकार कर रहा हो। छोटे जंगली जानवरों को मारने की कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल रही है।

 

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