सरहुल जैसे पावन पर्व पर हमें प्रकृति को बचाने का शपथ लेना चाहिए: बड़कुंवर गागराई

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चाईबासा: प्रकृति पर्व सरहुल आज चाईबासा में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर मुख्य कार्यक्रम में उरांव समाज सरहुल पूजा समिति चाईबासा की ओर से चाईबासा के सातो अखाड़ा के युवक युक्तियां पारंपारिक वेशभूषा के साथ नागाडा मांदल की थाप पर नाचती हुई पूरे शहर के मुख्य मार्गो से होती हुई, पुनः मुख्य स्थल मेरी टोला चाईबासा पहुंचे। मालूम हो कि इस कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रुप में झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री बड़कुंवर गागराई उपस्थित होकर फीता काटकर इस शोभायात्रा की शुरुआत की। सर्वप्रथम कार्यक्रम में मुख्य अतिथि बड़कुंवर गगराई विशिष्ट अतिथि अनुमंडल पदाधिकारी सदर चाईबासा, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सदर चाईबासा, झारखंड चेंबर के उपाध्यक्ष नितिन प्रकाश, पश्चिम सिंहभूम चेंबर के अध्यक्ष राजकुमार ओझा, चाईबासा चेंबर के अध्यक्ष मधुसूदन अग्रवाल, सामाजिक कार्यकर्ता सह सृष्टि चाईबासा के संस्थापक सह अध्यक्ष प्रकाश कुमार गुप्ता, भाजपा जिला अध्यक्ष सतीश पुरी, कांग्रेस जिला अध्यक्ष शेखर कुमार दास, भाजपा नेत्री गीता बालमुचू, 20 सूत्री सदस्य त्रिशानू राय, नगर परिषद चाईबासा के उपाध्यक्ष सह कार्यकारी अध्यक्ष डोमा मींज, नगर परिषद चाईबासा के सभी वार्ड पार्षद गण, थाना प्रभारी सदर सहित गणमान्य लोग उपस्थित हुए, जिन्हें पुष्पगुच्छ देकर, वेज पहनाकर एवं पगड़ी बांधकर स्वागत किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि श्री गागराई ने कहा कि यह हम सबों के लिए बहुत ही पावन दिन है, क्योंकि आज हम सभी मिलकर प्रकृतिक का महापर्व सरहुल मना रहे हैं, जो हम आदिवासियों के लिए बहुत ही पवित्र पर्व है। ऐसे में चाहिए कि हम सभी मिलजुल कर इस प्रकृति संपदा को बचाएं और खुशहाली मानाएं।

 

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कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि के रुप में आए अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी दिलीप खलखो ने कहा कि सचमुच यह प्राकृतिक पर्व हम सबों के लिए बहुत ही बड़ा पर्व है, और हम सभी इसे बड़ा ही खुशनुमा माहौल में बनाते हैं, एक दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं। वर्तमान में जरूरत है कि हम इस प्रकृति को बचाए इसे सजाएं संवारे। शोभा यात्रा के नेतृत्व करते हुए बान टोला के मुखिया “ब्लडमैन” लालू कुजुर ने कहा कि सरहुल हम आदिवासी भाई बंधुओं के लिए बहुत ही बड़ा पर्व है। आज पूरे झारखंड में इस पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हम सभी आदिवासी भाई बहन अपने पारंपारिक वेशभूषा में निकलते हैं और पूरे हर्षोल्लास के साथ पूरे शहर में घूम कर अपने बाद यंत्रों के साथ नाचते हुए झूमते हुए अपने गीतों के माध्यम से प्रकृति को बचाने का, सवारने का संदेश देते हैं। आज के इस सरहुल शोभायात्रा में आदिवासी उरांव समाज के सभी पदाधिकारियों के साथ समाज के महिला पुरुष बुजुर्ग बच्चे शामिल थे।