कांग्रेस को राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा से क्या मिला ?

136 दिन, 12 राज्ये, 3500 कि.मी. यात्रा

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नई दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व अध्यसक्ष राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को श्रीनगर में समाप्तह हुई। पिछले साल 7 सितंबर को तमिलनाडु के कन्याकुमारी से यह शुरू हुई थी।

136 दिनों की इस यात्रा में राहुल ने जनता से सीधे संपर्क किया। लोग बढ़चढ़कर उनकी यात्रा में शामिल हुए। इसकी चर्चा भी खूब रही। यह सब ठीक है। लेकिन, इसे लेकर कई बड़े सवाल भी हैं। इनमें पहला तो यही है कि हर यात्रा का एक मकसद होता है। क्याश इसके जरिये वह पूरा हुआ है। हलचल पैदा करना अलग बात है।

क्या राहुल की यात्रा कांग्रेस के लिए वोट भी लेकर आएगी ? इस यात्रा से क्याक कांग्रेस पर कोई फर्क पड़ेगा ? राहुल गांधी की छवि इससे कितनी बदलेगी ? विपक्ष को एकजुट कर पाने में यह कितनी सफल होगी ?

इस साल कई राज्योंक में विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले आम चुनाव में इस यात्रा से क्यार कोई फायदा मिलेगा ? ये ऐसे कुछ सवाल हैं जिनके जवाब जरूर तलाशे जाने चाहिए ।

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राहुल ने लाल चौक के ऐतिहासिक घंटाघर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। इसी के साथ उनकी यात्रा का समापन हुआ। पिछले साल उदयपुर चिंतन शिविर में इस यात्रा का रोडमैप तैयार किया गया था।

इसमें जनता से जुड़ने के लिए सांस्कृकतिक यात्रा शुरू करने की जरूरत महसूस की गई थी। इसका मुख्यु मकसद था जनता से सीधे संपर्क। पार्टी को लगता है कि 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जनता से दूरी ही उसके लिए दिक्कीत का सबब बनी। राहुल ने यात्रा से जुड़ने वाले लोगों का आभार जताया।

राहुल की यात्रा ने पैदा की हलचल, क्याक वोटों में बदलेगी ? हर यात्रा का राजनीतिक उद्देश्यक होता है। राहुल की यात्रा भी इससे अछूती नहीं है। खासतौर से यह देखते हुए कि अगले साल लोकसभा चुनाव हैं। वहीं, इस साल कई राज्यों में विधानसभा चुनाव हैं।

इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि राहुल की भारत जोड़ो यात्रा ने हलचल पैदा की। यात्रा में जितनी बड़ी संख्याू में लोग शामिल हुए, वह इसका सबूत है। लेकिन, यही भीड़ कांग्रेस के लिए वोट में तब्दीरल होगी इसमें शक है। इसके लिए एक सर्वे उदाहरण ले सकते हैं। सर्वे में 1,40,917 लोगों की प्रतिक्रिया शामिल की गई। इसमें 37 फीसदी लोगों ने कहा कि यात्रा ने हलचल पैदा की। लेकिन, इससे चुनाव जीतने में कांग्रेस को मदद नहीं मिलेगी।

विपक्ष नहीं आ रहा साथ, कैसे चलेगा काम ?

राहुल की यात्रा विपक्ष को भी एकजुट नहीं करती है। समापन समारोह में आमंत्रित की गई पार्टियों की लिस्टा से आम आदमी पार्टी (AAP) का नदारद होना काफी कुछ कहता है। कांग्रेस ने करीब एक दर्जन बीजेपी विरोधी दलों के नेताओं को बुलाया। हालांकि, इसमें आप बाहर रही। जब भारत जोड़ो यात्रा अरविंद केजरीवाल के गढ़ दिल्लीय में थी तो भी सीएम इसमें शामिल नहीं हुए।

यह अपने में बताता है कि विपक्ष में बहुत ज्याटदा खींचतान है। विपक्ष का नेतृत्व। करने के लिए अब कांग्रेस या राहुल गांधी के बजाय दूसरे दल और नेता खड़े हो गए हैं। इनमें दो सबसे बड़े नाम अरविंद केजरीवाल और ममता बनर्जी हैं।

बिखरा विपक्ष पीएम मोदी को चुनौती नहीं पेश कर सकता है। ऐसा मानने वालों की संख्याव लगातार बढ़ रही है। सर्वे भी यही बात कहता है। सर्वे कहता है कि विपक्ष का नेतृत्व। करने के लिए केजरीवाल और ममता बनर्जी राहुल के मुकाबले ज्याहदा बेहतर हैं।

ये दोनों नेता शायद ही राहुल के नेतृत्वु को स्वी कार करें। जम्मूष-कश्मीेर में राहुल को फारुख अब्दुील्लाी और महबूबा दोनों का साथ मिला। आरजेडी और जेडीयू भी उनके साथ हैं। सपा, बसपा, डीएमके जैसे दल भी उनके साथ जा सकते हैं। लेकिन, आप के रूप में देश में तेजी से उभरती ताकत का इस कैंप में शामिल नहीं होना, सवाल पैदा करता है।

यात्रा का रिजल्टी आने में देर नहीं

राहुल की यात्रा रिजल्टय इसी साल से दिखना शुरू हो जाएगा। इस साल नौ राज्यों। में विधानसभा चुनाव हैं। इनमें राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम शामिल हैं। इनमें दो राज्य ऐसे हैं जहां कांग्रेस की सरकार है।

राजस्थान और छत्तीसढ़ में कांग्रेस के सामने सरकार बचाने की चुनौती होगी। फिर 2024 चुनाव में भी कांग्रेस को स्थिति मजबूत करने की जरूरत है। यह तभी होगा जब वह सेमीफाइनल माने जा रहे इन चुनाव में बेहतर प्रदर्शर करे।

ऐसे में राहुल या अन्य कांग्रेसी नेता भारत जोड़ो यात्रा की सफलता से भले उत्सासहित हों। लेकिन, इन राज्योंढ के नतीजे ही कांग्रेस का भविष्य् तय करेंगे। यात्रा के बीच कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश में सफलता मिली है। वह चाहेगी इसे और आगे बढ़ाया जाए।