वाममोर्चा के साथ क्या बनेगी कांग्रेस की बात?

अगर ऐसा हुआ तो बंगाल में होगा त्रिकोणीय मुकाबला

41

कोलकाता, सूत्रकार : लोकसभा चुनाव की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रही है, पश्चिम बंगाल में चुनावी समीकरण बदल रहे हैं। जब विपक्षी दलों का इंडी गठबंधन बना और राहुल गांधी, ममता बनर्जी और सीताराम येचुरी ने एक साथ मंच साझा किया तो लगा कि बंगाल में आमने-सामने की लड़ाई इस बार देखने को मिलेगी। बीजेपी के साथ कांग्रेस और टीएमसी का सीधा मुकाबला होगा, लेकिन आसार इसके नहीं हैं।

दरअसल, माकपा के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने साफ कह दिया कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस से हाथ नहीं मिलाएंगे। उसके बाद कांग्रेस-टीएमसी में गठबंधन की संभावना बनी है। कांग्रेस हाईकमान के रुचि दिखाने पर भी बंगाल पार्टी अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी इसके पक्ष में नहीं थे और विरोध जताया।

मुख्यमंत्री व टीएमसी की प्रमुख ममता बनर्जी ने साफ कह दिया कि उनकी पार्टी कांग्रेस के लिए दो से अधिक सीट नहीं छोड़ेगी। ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच बात नहीं बनी। सीएम ममता ने अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर 10 मार्च को कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में विशाल रैली कर 42 उम्मीदवारों को एक साथ मंच पर खड़ा कर दिया।

उसके बाद कांग्रेस और वाममोर्चा में गठबंधन के आसार बने, लेकिन वाममोर्चा ने 16 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम घोषित कर दिए। हालांकि 26 सीटों को लेकर कांग्रेस के लिए दरवाजा खोल कर रखा है। सूत्रों से खबर है कि वाममोर्चा और कांग्रेस में बात बनती दिख रही है जिससे राज्य में त्रिकोणीय मुकाबला दिखाई दे सकता है।

माकपा के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस के साथ गठबंधन को लेकर बातचीत सकारात्मक दिशा में चल रही है। अगले कुछ दिनों में फैसला ले लिया जाएगा।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने भी इस तरह के संकेत दिए हैं। इस गठबंधन में इंडियन सेक्युलर फ्रंट भी शामिल हो सकता है। हालांकि पार्टी ने गुरुवार को आठ सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दी, लेकिन 32 सीटों पर समझौते का रास्ता खोलकर रखा है।

कांग्रेस के लिए 12 सीट छोड़ने को तैयार वाममोर्चा

सूत्रों के अनुसार, वाममोर्चा कांग्रेस के लिए 12 सीटें छोड़ने के लिए तैयार है, जबकि कांग्रेस 14 सीटें चाहती हैं। कुछ सीटें तय हो गई हैं, जबकि कुछ को लेकर पेच फंसा हुआ है। इस बीच अधीर रंजन ने सात सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम जाहिर कर दिए हैं। वहीं, आइएसएफ के विधायक नौशाद सिद्दीकी डायमंड हार्बर सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके हैं। माकपा की केंद्रीय कमेटी के सदस्य सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि नौशाद के चुनाव लड़ने पर पार्टी उनका समर्थन करेगी और अपना दावेदार नहीं उतारेगी।

गठबंधन के एकजुट नहीं होने पर बंटेगा मुस्लिम वोट

पश्चिम बंगाल में टीएमसी, वाममोर्चा और कांग्रेस का अपना-अपना मुस्लिम वोटबैंक है।  आइएसएफ भी मुस्लिम वोटर्स का समर्थन होने का दम भर रही है। ऐसे में तृणमूल, वाममोर्चा और कांग्रेस गठबंधन के बीच मुस्लिम वोट बंटने के आसार हैं। जिसका सबसे ज्यादा नुकसान तृणमूल को हो सकता है। हालांकि इससे बीजेपी को फायदा पहुंच सकता है। बता दें कि राज्य में 30 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम आबादी है, जो 16 से 17 लोकसभा सीटों पर निर्णायक भूमिका में हैं।