हजारीबाग : उतरीछोटा नागपुर प्रमंडल का मुख्यालय और ऐतिहासिक जिला हजारीबाग के लोग कई दशकों से रेल लाइन के लिए तरसते रहे थे, लोगों के लिए रेल एक सपना था. तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के द्वारा 1999 में कोडरमा रांची वाया हजारीबाग रेलवे लाइन की परिचालन लाई गई करीब 3000 करोड़ की योजना का शिलान्यास भी हुआ तीन चरणों में योजना पूरी हुई 20 फरवरी 2015 को लोगों की मांग पूरी करते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा हजारीबाग रेलवे स्टेशन का उद्घाटन किया गया. इस ऐतिहासिक मौके पर झारखंड के तत्कालीन राज्यपाल मुख्यमंत्री रघुवर दास केंद्रीय रेल मंत्री हजारीबाग के सांसद जयंत सिन्हा के साथ पूर्व सांसद यशवंत सिन्हा भी इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बने थे, वहीं इस ऐतिहासिक क्षण का देखने के लिए हजारीबाग के हजारों की संख्या में लोग भी पहुंचे थे.
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इसकी शुरुआती दौर के अगर हम लोग बात करें तो हजारीबाग से कोडरमा के लिए लोकल ट्रेन चलाई गई, हालांकि कुछ समय के बाद इस परिचालन को भी बंद कर दिया गया. इसके बाद 2016 को हजारीबाग से बरकाकाना तक की लाइन में ट्रेन का परिचालन शुरू किया गया. जिस पर स्पेशल ट्रेन चलाई गई. अगर अभी की बात की जाए तो हजारीबाग में लंबी दूरी के नाम पर एक वंदे भारत ट्रेन दी गई है, जो पटना भाया रांची चलाई जाती है. कई वर्षों से हजारीबाग के लोगों की मांग है कि हजारीबाग से महानगरों तक की रेल की सुविधा शुरू की जाए, परंतु ऐसा अभी तक नहीं हो पाया है. अभी भी स्थानीय लोग लंबी दूरी की ट्रेन पकड़ने के लिए या तो रांची या कोडरमा स्टेशन जाते हैं. हमने हजारीबाग के लोगों से बात की तो कई लोगों में या निराशा उनके चेहरे पर साफ तौर पर देखने को मिला कि हजारीबाग में ट्रेन तो दी गई परंतु इसका व्यवसायिक्करण किया गया. बड़कागांव में एनटीपीसी के द्वारा बड़े पैमाने पर कोयल की धुलाई रेलवे के माध्यम से की जा रही है. इसका सीधा मुनाफा सेंट्रल गवर्नमेंट को होता है. जब-जब चुनाव की बात होती है तब तक हजारीबाग लोगों को ट्रेन के नाम पर एक दो ट्रेन दे दिया जाता है या कहें कि हजारीबाग लोगों को ठगने का काम किया जाता है. हजारीबाग में वंदे भारत ट्रेन तो दी गई परंतु इसके अत्यधिक किराए के कारण आज भी लोग पटना बस ही जाना पसंद करते हैं. मुख्य व्यवसाय कॉमर्स ऑफ चैंबर के संस्थापक के अध्यक्ष राजेंद्र लाल ने भी कहा कि रेल सुविधा तो हजारीबाग में शुरू हो गई है पर इसका लाभ हजारीबाग के व्यवसाय वर्ग को नहीं मिल पाता है. अगर रेलवे की सुविधा देखी जाए तो सुबह 7:00 बजे से लेकर 10:00 बजे तक की इसकी सुविधा मिल पाती है, बाकी पूरे दिन भर मालगाड़ी से कोयला धोया जाता है हमें उम्मीद है की लोकसभा चुनाव के उपरांत लंबी दूरी की ट्रेन है हजारीबाग के लोगों को सौगात के रूप में मिलेगी. कुछ ने तो यह भी कहा कि आशा है कि लंबी दूरी की ट्रेन महानगरों को जोड़ने के लिए कब हम देख पाएंगे. बहरहाल हम यह कह सकते हैं कि हजारीबाग की ट्रेन एक सपना था लोगों के लिए परंतु हजारीबाग में कुछ ही ट्रेन को छोड़कर लंबी दूरी की ट्रेन नहीं दी गई है. शायद लोगों के लिए निराशाजनक है और लोग यह उम्मीद लगाए बैठे हैं की कब हमें लंबी दूरी की ट्रेन हजारीबाग को मिल पाती है.