राकेश पांडेय
कोलकाता: बदलते दौर की जरूरत कहें या वक्त की मार, अब तीन पहिये वाले साइकिल रिक्शा की जगह टोटो (ई-रिक्शा) ने ले ली है। शहर से लेकर गांव तक ई-रिक्शा की भरमार है और सवारी के इंतजार में पैडल रिक्शा चालक इक्के-दुक्के नजर आते हैं।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बैटरी चलित रिक्शा की मांग और जरूरत दोनों बढ़ी है। इसका दुष्परिणाम साइकिल रिक्शा चालक भुगतने को मजबूर हैं।
कोरोना काल में टोटो आमदनी का बेहतर जरिया बनकर उभरा है। कोरोना काल में जो लोग बेरोजगार हुए, वे टोटो की हैंडल थाम आमदनी को रफ्तार देने में जुटे हैं।
ई-रिक्शा के आने के बाद से साइकिल रिक्शा की कमाई मर गयी। इसका कारण यह है कि इसमें एक साथ 5 लोग बैठ सकते हैं। इसको खींचने में कम मेहनत लगती है।
ई-रिक्शों से प्रदूषण की समस्या न के बराबर है। इसके आने के बाद से ऑटो वालों की भी स्थिति धीरे-धीरे खराब होती जा रही है। इसका कारण यह है कि यह आरटीओ के निर्धारित रूट पर ही चलता है।
यह तब तक अपना स्टैंड नहीं छोड़ते, जब तक इनकी पूरी सवारी न मिल जाए। लेकिन टोटो के पास यह समस्या नहीं है। ज्ञात रहे कि जब सड़कों पर टोटो का चलना शुरू हुआ था तो इसको काफी विरोध का सामना करना पड़ा था।
क्या है साइकिल रिक्शा
साइकिल रिक्शा एक वाहन है जो तीन पहियों का बना होता है और चलाने वाला इसे साइकिल की तरह पैडल मार कर चलाता है। इसका प्रयोग कई जगहों पर होता है।
यह ऑटोरिक्शा और हाथरिक्शा से भिन्न है क्योंकि ऑटोरिक्शा बैटरी और ईंधन का इंजन युक्त रूप है और हाथ रिक्शा हाथ से खींचा जाने वाला होता है।
सामाजिक कारण
ई-रिक्शा के आ जाने के बाद से समाज में आपराधिक घटनाओं के ग्राफ में काफी हद तक गिरावट आयी है। सामाजिक सुधार हुआ है। केपमारी, छिनताई और बेरोजगारी जनित अन्य समस्याओं से निजात मिली है।
खर्च में कमी
टोटो चालक राजेश यादव ने बताया कि टोटो को खरीदने पर ज्यादा की लागत नहीं आती है। इसे चलाने में भी कम मेहनत होती है। यह गली और नुक्कड़ में भी आसानी के साथ आ-जा सकते हैं। उसने बताया कि टोटो का दाम बैटरी पर निर्भर करता है। इसकी कीमत 1.40 लाख तक आती है।
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पेट चलाना मुश्किल
बांगड़ (बांगुर) पार्क इलाके में रिक्शा चलाने वाले श्यामवीर भगत ने बताया कि क्या कहें और किससे कहें। अब तो पेट चलाना भी मुश्किल हो गया है। उसने बताया कि हमको गाड़ी चलाना नहीं आता है और उम्र भी उतनी नहीं है।
टोटो से सेफ है ऑटो
ऑटो चालक राजा जैकी ने बताया कि ई-रिक्शा से हर मायने में सेफ है ऑटो। उसने बताया कि ऑटो की कीमत लगभग 1.80 लाख से 2.10 लाख तक है। यह किसी भी सड़क पर दौड़ सकती है। इसको पलटने का भय नहीं है।
कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि बंगाल में नया निवेश भले ही कम हुआ है लेकिन ई-रिक्शे के आने से जहां रोजगार में बढ़ोतरी हुई है, अपराधों पर अंकुश लगा है वहीं कुछ लोगों की कमाई जाती रही है। लेकिन नियति का सिद्धांत यही है कि हर निर्माण के साथ कुछ ढहता भी है।