अंकित सिन्हा
इजरायल(Israel) और हमास के बीच जंग के एक महीने से ज्यादा का वक्त बीत चुका है। वहां पर लाशों का ढेर बचा है। बिखरी हुई इमारतें बची हैं, श्मशान बन चुके अस्पताल हैं, सहमे लोग और अपने आशियानों को खो चुकी पथराई आंखों में उदासी बची है। यही पूरे फिलीस्तीन की हकीकत है। 7 अक्टूबर को फिलिस्तीन के आतंकी संगठन हमास ने इजरायल पर रॉकेट दागे थे। कई शहरों पर हमले में इजरायल के 1200 से अधिक लोग मारे गए थे। उसके बाद से इजरायल के हमलो में करीब 12700 लोग मारे जा चुके हैं और लाखों फिलिस्तीनी इजरायल पर हुए हमले से भोजन, दवाइयों और ईंधन की कमी के चलते शरण मांग रहे हैं। इजरायल द्वारा गाजा के अंदर अस्पतालों पर हुए हमलों की दुनिया में तीखी आलोचना भी हुई है। हमास ने फिलवक्त 237 इजरायली नागरिकों को बंधक बनाया है।इजरायल(Israel) ने अब तक उनको छुड़ाने के बहुत प्रयास किए लेकिन वो नाकाफी रहे।
इजरायल(Israel) के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू का कहना है, ‘दुश्मन को ऐसी कीमत चुकानी पड़ेगी, जिसके बारे में उसने कभी नहीं सोचा होगा।’
पलटवार की सियासत
इस युद्ध को रोकने के लिए अब तक सारे प्रयास नाकाफी साबित हुए हैं। कई ऐसी तस्वीरें सामने आईं जिन्होंने मानवीय संवेदना को सबसे ज्यादा चोट पहुंचाई। उन्हीं में से एक तस्वीर थी अल अहली अस्पताल में रॉकेट से हमला। गाजा के अस्पताल पर एयर स्ट्राइक ने कमोबेश 500 लोगों की जान ले ली। इस हमले में बड़ी संख्या में बच्चे मारे गए। हमास और इजरायल दोनों ने इस हमले के लिए एक दूसरे को दोषी ठहराया। निंदा दुनिया के सभी देशों ने की, सभी संगठनों ने की। लेकिन हमला किसने किया इसका जवाब आज तक नहीं मिल पाया। लोग अस्पताल में यही उम्मीद लेकर जाते हैं कि उनकी जान बचेगी लेकिन किसको उम्मीद थी की वही जगह उनके लिए कब्र बन जाएगी। सैकड़ों लोगों की मौत ने मानवीय संकट उत्पन्न कर दिया। लोग अपना घरबार छोड़कर राहत कैम्पों में रहने को मजबूर हैं।
यूएन की भूमिका
यूएन और डब्ल्यूएचओ के हमास के प्रति हमदर्दी दिखाने पर यूएन में इस्राइली राजदूत गिलाद एर्दान ने सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा, यूएन के अधिकारियों के पास आतंकवाद के खिलाफ लड़ रहे देश को फटकार लगाने की कोई विश्वसनीयता नहीं है।
उभरते सवाल
इस युद्ध के शुरू होने के बाद एक बार फिर वैश्विक संस्था की विश्वसनीयता को कठघरे में खड़ा किया गया था। ऐसे में हमें जानना चाहिए कि आखिर हमास-इजरायल(Israel) युद्ध के बाद यूएन पर सवाल क्यों उठे? लड़ाई शुरू होने के बाद यूएन और मानवतावादी संगठनों ने क्या कदम उठाए हैं? रूस-यूक्रेन संघर्ष में इसकी भूमिका पर आंच क्यों आई? यूएन की जिम्मेदारी होती क्या है? यह किसलिए बना था? क्या यूएन की इस नीति पर इतिहास उसे कभी माफ करेगा? याद रहे, गाजा की निरीह लाशें अपने कत्ल का हिसाब आज नहीं तो कल जरूर मांगेगी।