ब्यूरो रांची : ‘मैंने सच बोलने की कीमत चुकाई है। मैं कोई भी कीमत चुकाने को तैयार हूं। महंगाई और भ्रष्टाचार का मुद्दा दोगुनी ताकत से उठाता रहूंगा…।’ ये किसी फिल्म के डायलॉग नहीं बल्कि राहुल गांधी के शब्द हैं, वो जब अपने 12 तुगलक लेन सरकारी बंगले से निकल रहे थे तब उन्होंने ये बातें कही थीं। शायद राहुल को उस वक्त यह नहीं पता रहा होगा जिस बंगले से वे बेघर हो रहे हैं, वह वापस मिलेगा। अब उन्हें 12 तुगलक लेन रोड का सरकारी बंगला फिर मिल गया है। वहीं बहुत लोगों के मन में ये अक्सर सवाल रहता होगा की सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों और पूर्व केंद्रीय मंत्रियों को बंगले किस तरह अलॉट किए जाते हैं ? वहीं, बंगले खाली कराने के क्या नियम हैं? कौन अलॉट करता है सरकारी आवास ? कितने आलीशान होते हैं सरकारी बंगले? क्या सांसदों को भी देना पड़ता है किराया? जब से राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता बहाल हुई है। तब से चारों तरफ यही चर्चा है कि राहुल गांधी को उनका पुराना आवास वापस मिल गया है।
ऐसे में आम आदमी के मन में कई तरह के सवाल उठते हैं कि आखिर ये बंगले मिलते कैसे हैं और ये दिखते कैसे है।नियमों के मुताबिक, जब संसद सदस्यता जाती है, तभी बंगला खाली करा लिया जाता है। इसके अलावा भत्ते और गाड़ी समेत सभी सुविधाएं वापस ले ली जाती हैं। हालांकि, बंगला अलॉट करने और खाली कराने के कुछ नियम हैं। सांसदों और केंद्रीय मंत्रियों के अलावा दूसरे संवैधानिक पदों के लोगों को भी बंगले अलॉट किए जाते हैं।
बता दें कि सांसदों और मंत्रियों को बंगलों का बंटवारा सैलरी और सीनियॉरिटी के आधार पर होता है। बता दे कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और केरल के वायनाड से सांसद राहुल गांधी को मानहानि मामले में सजा हुई। इसके बाद उनकी सांसदी चली गई। फिर 27 मार्च 2023 को लोकसभा की आवासीय समिति ने उन्हें दिल्ली का आधिकारिक आवास 12, तुगलक लेन खाली करने का नोटिस भेज दिया।
राहुल गांधी ने नोटिस स्वीकार करते हुए बंगला खाली कर दिया। उनको ये बंगला अमेठी से पहली बार लोकसभा सांसद चुनने के बाद 2004 में अलॉट किया गया था। अब मानहानि के मुकदमे में सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के बाद राहुल गांधी को उनका वही बंगला फिर से अलॉट कर दिया गया है। बता दे की सांसदों के आवास अलॉट की जिम्मेदारी शहरी विकास मंत्रालय के अधीन काम करने वाले डायरेक्टरेट ऑफ स्टेट्स नाम का विभाग करता है। बंगला अलॉट करने का काम यह विभाग जनरल पूल रेजिडेंशियल एकोमोडेशन एक्ट के तहत करता है।
सांसदों को आवास देने की प्रक्रिया में लोकसभा और राज्यसभा की हाउसिंग कमेटी अहम रोल निभाती है। सबसे शानदार बंगला टाइप 8 को माना जाता है। यह बंगला तीन एकड़ में फैला होता है। इसमें 5 बेडरूम, एक हॉल, एक बड़ा डाइनिंग रूम और एक स्टडी रूम होता है। इसके अलावा कैंपस में एक मीटिंग रूम और एक सर्वेंट हाउस भी होता है। इस तरह के बंगले जनपथ, त्यागराज मार्ग, कृष्णामेनन मार्ग, अकबर रोड, सफदरगंज रोड, मोतीलाल नेहरू मार्ग और तुगलक रोड पर स्थित है।
इस बंगले को कैबिनेट मंत्री, सुप्रीम कोर्ट के जज, पूर्व पीएम, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति और वरिष्ठ सांसदों को मिलता है। इसी टाइप के बंगले में राहुल गांधी को बंगला मिला है। राहुल गांधी की बतौर सांसद सारी सुविधाएं सात अगस्त से बहाल हुई हैं। उन्हें 50 हजार प्रति माह वेतन मिलेगा। इसके अलावा राजनयिक पासपोर्ट, टेलीफोन-मोबाइल की सुविधा, रेल, विमान और निजी कार की यात्रा का भत्ता, एडवांस लेने की सुविधा, पेंशन, इलाज और आवास मिलने पर फर्नीचर की सुविधा मिलेगी।
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