2013 में यूपीए सरकार में क्यों भूल गए स्थानीय व नियोजन नीति बनाना, बाबूलाल का सीएम से सवाल

खातियान के मुद्दे पर ही अर्जुन मुंडा की सरकार गिरा कर पहली बार बनें थे सीएम हेमंत सोरेन

87

रांची: 1932 के खतियान आधारित विधेयक राज्यपाल द्वारा लौटाए जाने के बाद से राज्य की राजनीति फिर से गर्मा गई है। स्थानीयता के मुद्दे को लेकर झामुमो जहां भाजपा पर हमलावर है, वहीं भाजपा अपना बचाव करते हुए बचाव पलटवार भी कर रही है. भाजपा विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने सीएम हेमंत सोरेन पर सीधा हमला करते हुए कहा कि यूपीए सरकार के कार्यकाल में वे स्थानीय नीति और नियोजन नीति क्यों नहीं बनायी थी।

2013 में स्थानीय नीति को लेकर अर्जुन मुंडा की  गिरी थी सरकार

बाबूलाल ने कहा कि 2013 में हेमंत सोरेन अर्जुन मुंडा की सरकार में उपमुख्यमंत्री थे,तब हेमंत सोरेन ने अर्जुन मुंडा की सरकार को 1932 के खतियान आधारित स्थानीय और नियोजन नीति के नाम पर ही समर्थन वापस लेकर गिराई थी। उसके बाद हेमंत डेढ़ साल तक पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री रहे, उस समय केंद्र में यूपीए की सरकार थी, तब स्थानीय नीति और नियोजन नीति नहीं बनाई। उस समय उन्हें नौवीं अनुसूची की बात क्यों याद नहीं आई? भाजपा नेता ने कहा कि राजनीति चतुराई से नहीं ईमानदारी से चलती है । वे जनता को बेवकूफ बना रहे।

भाजपा ने कभी नहीं किया खतियान का विरोध
बाबूलाल ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने कहा कि भाजपा ने कभी 1932 के खतियान का विरोध नहीं किया, लेकिन हेमंत सरकार दूसरे के कंधे पर बंदूक रखकर गोली चला रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को नीति बनाने का पूरा अधिकार है। हेमंत सरकार राज्यपाल द्वारा स्थानीय नीति के संबंध में उठाए गए सवालों का विधिसम्मत समाधान निकालें और जल्द राज्य की जनता को स्थानीय और नियोजन नीति दे। इसके लिए बड़ी फीस पर भी विधि विशेषज्ञों और वकीलों की राय लेने से परहेज नहीं करें।

यह भी पढ़ें — राज्यपाल की आपत्तियों पर गंभीरतापूर्वक विचार करे हेमंत सरकार: बाबूलाल मरांडी