क्या टीएमसी के फटे कपड़े को रफ़ू कर पाएंगी ममता

राष्ट्रपति की बंगाल यात्रा

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कोलकाता, अंकित कुमार सिन्हा

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 27 मार्च को पश्चिम बंगाल का दौरा करने वाली हैं। राष्ट्रपति बनने के बाद यह पहली बंगाल यात्रा है। लेकिन राष्ट्रपति की इस यात्रा को राजनीतिक नजरिए से भी देखा जाने लगा है। राज्य सरकार की ओर से उनका सम्मान किया जाएगा, जिसमें खुद सीएम ममता हाजिर होंगी।

 छवि सुधारने का मौका

राष्ट्रपति देश का पहला नागरिक होता है। किसी भी राज्य में मुख्यमंत्रियों का स्वागत करना प्रोटोकॉल में आता है। लेकिन राजनीतिक पंडितों का मानना है कि राष्ट्रपति का आगमन ममता बनर्जी के लिए मौका है, आदिवासियों के बीच अपनी छवि को सुधारने का। चूंकि कुछ ही महीनों में बंगाल में पंचायत चुनाव होने वाले हैं और फिर अगले साल लोकसभा के भी चुनाव हैं। बंगाल में कई सीटों पर आदिवासी समुदाय अच्छे खासे अनुपात में हैं।

टीएमसी ने किया था मुर्मू का विरोध

जब द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति के लिए नामांकित हुई थीं, उस वक्त मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दल ने इनके पक्ष में अपना मत नहीं दिया था। जबकि टीएमसी से ही राज्यसभा सांसद यशवंत सिन्हा द्रौपदी मुर्मू के खिलाफ ताल ठोंक रहे थे। हार के बाद मुख्यमंत्री ने कहा था ”अगर हमें पता होता कि वे आदिवासी महिला या अल्पसंख्यक समुदाय से किसी को उम्मीदवार बनाने वाले हैं तो हम विचार कर सकते थे।

अखिल गिरी का विवादित बयान

पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार में मंत्री और टीएमसी नेता अखिल गिरि ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के रूप-रंग को लेकर लेकर बेहद आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को खुद आगे आकर बयान देना पड़ा था।

30 फीसदी दलित और आदिवासी आबादी

2011 की जनगणना के मुताबिक राज्य में आदिवासी समुदाय की जनसंख्या तकरीबन 53 लाख है, जो राज्य की कुल आबादी की 5.8 फीसदी के करीब है। वहीं राज्य में दलित समुदाय की जनसंख्या 2.14 करोड़ है। दोनों की आबादी मिलाकर कुल 30 फीसदी होती है। दोनों ही समुदाय पिछले कुछ चुनाव में टीएमसी के खिलाफ दिखाई दिए हैं।

आदिवासी बहुल इलाके

राज्य में ज्यादातर आदिवासी आबादी उत्तर बंगाल और जंगलमहल में है, जो दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, अलीपुरद्वार, दक्षिणी दिनाजपुर, पश्चिमी मिदनापुर, बांकुड़ा और पुरुलिया में है। आदिवासी समुदाय के लिए 16 विधानसभा सीटें रिजर्व हैं। वहीं दलित समुदाय राज्य की करीब 68 सीटों पर पूरा प्रभाव रखता है।

 

सागरदिघी उपचुनाव से संदेश

एक तरफ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सागरदिघी उपचुनाव हार गई हैं, जहां अकेले अल्पसंख्यकों की आबादी लगभग 68 फीसदी थी। इस हार के बाद ममता बनर्जी अब आदिवासी और दलित समुदाय का दिल जीतने की कोशिश कर रही हैं और राष्ट्रपति का दौरा इस मायने में काफी खास होने वाला है।