हमेशा के लिए याद रखा जाएगा संसद का शीतकालीन सत्र

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नई दिल्ली ः संसद में उत्पाद, शोर-शराबा, निलंबन और फिर मिमिक्री के बाद बवाल। इस संसद के सत्र में सबकुछ देखने को मिला है और इसके साथ ही खत्म होते-होते दो महत्वपूर्ण बिल भी पास हुए जो अंग्रेजों जमाने का कानून था उसमें बदलाव किया गया। मॉब लिंचिंग और नाबालिग से फांसी वाला बिल संसद से पास हो गया। कश्मीर पर बिल संसद में पास हुआ। लेकिन ये संसद इन सबसे ज्यादा संसद में हुए उत्पात के लिए याद रखा जाएगा। जिस दिन संसद हमले को 20 साल हुए उसी दिन फिर से संसद में अवैध तरीके से कुछ लोग घुस गए और जमकर उत्पाद मचाया। इसके बाद संसद के सुरक्षा पर भी जमबरदस्त सवाल खड़े हुए। मामला इतना गरमा गया की विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया । गृह मंत्री से बयान की मांग की गई लेकिन गृह मंत्री ने बयान तो दिया नहीं इसके उलट करीब-करीब 150 सांसदों को सस्पेंड कर दिया गया। आरोप ये लगाया गया कि सांसद दोनों सदनों में मर्यादा को पार किया इसलिए उनको निकाल दिया गया। यहां तक विपक्ष बढ़त बना चुका था, दबाव सरकार पर था और लेकिन फिर वो दौर आता है जब टीएमसी के सांसद कल्याण बनर्जी उपराष्ट्रपति का मजाक उड़ाते हैं और राहुल गांधी उनका वीडियो बनाते हैं, विपक्ष ने यहीं पर अपनी बनाई गई बढ़त को खो दिया। इसके बाद से विपक्ष को जवाब देते नहीं बन रहा है। राहुल गांधी ये बोलते हैं कि 150 सासंदों को निलंबित कर दिया वो नहीं दिखाया गया। बहरहाल, ये पूरे इस सत्र का लबो लुआब रहा है।

इस पूरे सत्र में कई सीनियर नेताओं को संसद के बाहर बैठना पड़ा लोकतंत्र पर सवाल खड़े किए गए। आज इसी क्रम में बोलते हुए एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि हम हमेशा संस्थाओं का सम्मान करते हैं. संसद में जो हुआ वह देश के इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ था। 150 सांसदों को सदन से बाहर करने का ऐतिहासिक काम किया गया है। जिनकी सिर्फ एक ही मांग थी कि सरकार की ओर से बयान दिया जाए कि जो लोग सदन के सदस्य नहीं थे वो सदन में कैसे आए… उन्हें पास किसने जारी किया? यह संसद का अधिकार है।