WMO Report: भीषण गर्मी पर विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने बजाई खतरे की घंटी

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WMO Report: भले ही मौजूदा मौसम में आप गर्मी में भी ठंडक का एहसास कर रहे हो..क्योंकि अप्रैल और मई में मौसम की अजीब सी स्थिति बनी हुई है. जिसके बाद तापमान में गिरावट देखी गई है. मौसम के इस बदलाव का असर अब खत्म ही होने वाला है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने चेतावनी दी है की आने वाले महीनों में भीषण गर्मी का सामना करना पड़ेगा. अब तक के सबसे गर्म आठ साल 2015 और 2022 के बीच दर्ज किए गए थे. लेकिन जलवायु परिवर्तन में तेजी आने से तापमान में और वृद्धि होने का अनुमान है. विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने ग्रीनहाउस गैसों और अल नीनो के प्रभाव से तापमान बढ़ने की चेतावनी जारी की है.

 

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वैश्विक तापमान के वजह से गर्मी का भीषण प्रकोप

वैश्विक इतिहास में पहली बार आने वाले कुछ सालों में हम वैश्विक गर्मी की वह भयावहता देखेंगे. जिसकी अब तक विश्व भर के विज्ञानी और पर्यावरणविद केवल कल्पना भर ही कर रहे थे. विश्व मौसम विज्ञान संगठन के अनुसार अगले पांच साल में पहली बार वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने के आसार हैं. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वर्ष 2015 के पेरिस समझौते के तहत पूर्व औद्योगिक स्तर की दीर्घकालिक तापमान सीमा 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगी. वर्ष 2027 तक अस्थाई रूप से वैश्विक तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ने की 66 प्रतिशत आशंका है. संयुक्त राष्ट्र के इस संगठन का कहना है कि पर्यावरण के खतरे के निशान तक पहुंचने का संभवत: यह कम खतरनाक दौर होगा. चूंकि वैज्ञानियों ने अलनीनो के कारण अस्थाई रूप से गर्मी के भीषण उफान की उम्मीद जताई है.

 

जलवायु परिवर्तन से तापमान में होगी वृद्धि

बता दे कि कोयला, तेल और गैस जलाने की सभी सीमाएं पार करने से मानवजनित ग्लोबल वार्मिंग के चलते अलनीनो का इतना बुरा असर होगा. हालांकि बहुत से देश अभी भी इस वैश्विक तापमान से बचने के काफी जतन कर रहे हैं. लेकिन विज्ञानियों ने संयुक्त राष्ट्र की 2018 की विशेष रिपोर्ट में कहा है कि इस स्थिति में भी बेहतर करने पर भी भीषण और भयावह तरीके से अधिक मौतें होंगी. वैश्विक इकोसिस्टम को हानि होगी या वह नष्ट हो जायेगा. डब्ल्यूएमओ के महासचिव पेट्टरी टलास ने एक बयान में कहा कि इस रिपोर्ट का यह मतलब नहीं है कि हम स्थाई रूप से 1.5 डिग्री सेल्सियस के वैश्विक तापमान की बढ़त ले लेंगे. वही डब्ल्यूएमओ ने अपनी रिपोर्ट में खतरे की घंटी बजा दी है.. इससे 1.5 डिग्री से तापमान अस्थाई रूप तक पहुंचेगा. लेकिन आने वाले समय में यह तेजी से बढ़ता जाएगा. एक साल में इससे कुछ नहीं होने वाला क्योंकि विज्ञानी आमतौर पर इस तरह के बदलाव के लिए औसतन तीस साल का समय मानते हैं. डब्ल्यूएमओ की यह रिपोर्ट विश्व के 11 विभिन्न क्लाइमेट साइंस सेंटरों के आकलन पर आधारित है.