वन विभाग की लापरवाही का फायदा उठा रहे लकड़ी माफिया, रेंजर को नहीं है जानकारी

कुल्हाड़ी और आरी मशीन से काट रहे हरे-भरे कीमती पेड़

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रांची : 2 जुलाई साल 2018 को नदी महोत्सव के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने रांची के स्वर्णरेखा नदी के किनारे आम का पौधा लगाकर नदी महोत्सव का शुभारंभ किया था ।  इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कि वृक्षारोपण अभियान को जन आंदोलन बनाएं । 2 जुलाई से 2 अगस्त तक वृक्षरोपण अभियान भी चला ।  इस दौरान पूरे राज्य में लगभग 2.40 करोड़ पौधे लगाए गए । इस दौकान पूर्व सीएम रघुवर दास ने कहा कि जल, जंगल और जमीन हमारे लिए नारा नहीं, यह हमारी अमानत है । इस अमानत को हमें आने वाली पीढ़ी को सौंपना है । हमें स्वस्थ, सुंदर और स्वच्छ झारखंड बनाना है और हमारी सरकार इस दिशा में तेजी से काम भी कर रही है ।  जल, जंगल, जमीन से जुड़ने के लिए ये अच्छी पहल है । अब बात चाहे किसी भी सरकार की करें हर किसी ने राजनीतिक फायदे के लिए जल, जंगल और जमीन के मुद्दे को उठाया तो सही, लेकिन कभी अपने वादे पर खरा नहीं उतर सकी । हालांकि अपने राज्य के जल जंगल जमीन का मुद्दा किसी एक सरकार की नहीं बल्कि हर किसी की है । चाहे वो सरकार हो या राज्य की आम जनता ।  लेकिन अब 5 साल बाद इस आंदोलन का असर बेअसर होता नजर आ रहा है । 5 साल पहले नदी महोत्सव के तहत वन विभाग की ओर से गढ़वा रेंज अंतर्गत बहियार से लेकर पाल्हे कला में श्री आशुतोष महादेव मंदिर तक बांकी नदी के दोनों किनारों पर लगाये गये पेड़ विभाग की जिद और उसकी लापरवाही की भेंट चढ़ गये ।

कुल्हाड़ी और आरी मशीन से हरे-भरे पेड़  काट ले गए तस्कर  

कभी जल जंगल जमीन को बरकरार रखने के इस पहल की शुरूआत तो हुई । पर धीरे धीरे स्थिति ये रही कि पौधों की सुरक्षा के लिये लगाये गये बाड़ को पिछले साल मार्च माहीने में खोल कर हटा दिये जाने और देखरेख में ढिलाई बरते जाने के कारण नदी की खूबसूरती में पिछले साल मार्च तक चार चांद लगा रही हरियाली अब गायब हो चुकी है । कभी जो आमानत आने वाली पीढ़ी को रघुवर दास देना चाहते थे वो आज वो आज ऐसे दलालों के हाथो में चली गई है । जो बेतरतीब तरीके से इमारती लकड़ियों के सैकड़ों पेड़ काट लिये हैं । आपको बता दें कि बहियार मोड़ से पाल्हे कला के बीच में शीशम, गमहार और सागवान सरीखे इमारती लकड़ियों के लगभग 50 फीसदी पेड़ काफी हद तक विकसित हो गए थे । जिसे दलालों ने पिछले 2 से 3 महीने के भीतर ही समाप्त कर दिया ।   यानी हरे भरे पेड़ो को कुल्हाड़ी और आरी मशीन से काटकर ले गए ।  जिसकी गवाही वहां पेड़ के अवशेष दे रहे है ।  लेकिन वन विभाग फिलहाल कानों मे रूई डालकर कुंभकर्णी नींद सो रही है । आखिर इसके जिम्मेदार कौन है ?  यह एक गंभीर सवाल है ।

वन विभाग की सुस्ती का फायदा उठाया तस्करों ने 

आपको जानकारी दें दे कि नदी महोत्सव के दौरान शीशम, सागवान, गमहार, नीम, आम, जामुन, अमरूद, आंवला, बेल, अर्जुन, सेमल समेत कई तरह के इमारती लकड़ियों के साथ-साथ फलदार और छायादार वृक्षों के लगभग 30 हजार पौधे लगाये गये थे । पौधारोपण के पहले पेड़ों की सुरक्षा के लिये वन विभाग की ओर से सीमेंटेड पोल और कटीले तार से घेराबंदी भी की गई थी । लेकिन समय के साथ साथ वन विभाग भी सुस्त पड़ता गया और जल, जंगल, जमीन को बचाने की मुहिम से दूरी बना ली । जिसका नतीजे था कि पेड़ों के परिपक्वव होने से पहले ही तार को खोल दिया गया । पेड़ों के देख रेख के लिए रखे गार्ड को हटा दिया गया, जिससे छोटे बड़े सभी पेड़ पौधे असुरक्षित हो गये । जिस वजह से मवेशियों ने और सैकड़ों बड़े पेड़ों को अपराधियों ने काटकर तहस नहस कर दिया ।

पेड़ कटने की नहीं जानकारी है रेंजर को 

पर्यावरण जागृति ने विभाग के अफसरों के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों और स्थानीय प्रशासन को इस मामले को लेकर पत्र भी लिखा और मौखिक रूप से पेड़ पौधों के भविष्य को लेकर अपनी चिंता भी जाहिर की । यहां तक कि घेराबंदी और गार्ड पेड़ों के परिपक्वव होने की अवधि तक रखने की गुहार लगायी गई थी। लेकिन सबने इस बात को अनसुना कर दिया । गढ़वा रेंजर गोपाल चंद्रा ने कहा कि उन्हे इस बात की जानकारी नहीं है । पेड़ों के काटे जाने के बारे में जब उनसे पूछा गया तो उन्होने कहा कि बहियार से पाल्हे कला नगर ऊंटारी रेंज के अंतर्गत आता है । वही डीएफओ दिलीप कुमार ने कहा कि मामले की जांच कर दोषी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी ।

 

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