कोलकाता ः न्यायमूर्ति अभिजीत गंगोपाध्याय ने राज्य के मुख्य सचिव को 24 घंटे के भीतर राज्य सरकार को सूचित करने का निर्देश दिया कि क्या राज्य सरकार उत्तर बंगाल महिला क्रेडिट यूनियन भ्रष्टाचार मामले में अदालत के आदेश का पालन करने को तैयार है।
इस मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस गंगोपाध्याय ने सोमवार को आदेश दिया कि मामले की जानकारी मंगलवार दोपहर 3 बजे तक हलफनामे के जरिए दी जाए। न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता के वकील को 1 घंटे के भीतर राज्य जीपी को उच्च न्यायालय के आदेश से अवगत कराने का भी निर्देश दिया।
आपको बताते चलें कि न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने उत्तर बंगाल महिला क्रेडिट यूनियन भ्रष्टाचार मामले में सीबीआई जांच का आदेश दिया। लेकिन जज ने सीबीआई पर मामले के दबाव के कारण राज्य के 10 पुलिस अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति का आदेश दिया। साथ ही कोर्ट ने कहा कि राज्य को मामले के जांचकर्ताओं के उत्तरी बंगाल में रहने और यात्रा की व्यवस्था करनी चाहिए।
जस्टिस गंगोपाध्याय ने जांच के हित में वह आदेश राज्य के मुख्य सचिव को दिया। उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल ने यह निर्देश मुख्य सचिव कार्यालय को भेज दिया। अदालत का आदेश पहले 3 नवंबर को और फिर 7 दिसंबर को घोषित किया गया था। लेकिन सोमवार को सीबीआई ने आरोप लगाया कि राज्य की ओर से अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जस्टिस गंगोपाध्याय के उस आदेश के बाद भी।
याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में शिकायत की थी कि अलीपुरदुआ महिला क्रेडिट यूनियन में 21 हजार 163 लोगों ने कुल 50 करोड़ रुपये का निवेश किया था। पैसे जमा करते समय एसोसिएशन ने कहा कि इस पैसे का इस्तेमाल बाजार में लोन के तौर पर किया जाएगा. लेकिन बाद में जब पैसा वापस पाने का समय आया तो निवेशकों को पता चला कि एसोसिएशन ‘विघटित’ हो गई है। तीन साल की जांच के बाद भी सीआइडी यह पता नहीं लगा सकी कि कर्ज के रूप में पैसा किसे दिया गया था।
एसोसिएशन के पांच पदाधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से शिकायत की कि अगर लोन दिया गया होता तो लाभार्थियों का नाम भी बताया जाता। लेकिन पिछले तीन साल में सीआइडी को किसी का नाम नहीं मिला है। पिछले अगस्त में, न्यायमूर्ति गंगोपाध्याय ने मामले की सीबीआई जांच का आदेश दिया।