मात्र 9 दिन में रायुडू का राजनीति से मोहभंग

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डेस्कः खेल और राजनीति का पुराना नाता रहा है। कई खिलाड़ी खेल से सन्यास लेने के बाद राजनीति की ओर रूख कर लेते हैं। कई सफल हो पाते हैं कई असफल रहे अभी तक। कई उदाहरण मौजूद हैं। अब ऐसे ही एक और खिलाड़ी अंबाती रायुडू ने क्रिकेट से सन्यास लेने के बाद राजनीति में हाथ आजमाया और इसके लिए उन्होंने आंद्र प्रदेश की जगनमोहन रेड्डी की पार्टी युवाजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी यानी YSRCP को चुना। पूरे गाजे बाजे के साथ उनको पार्टी में शामिल कराया गया। खुद मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी मौजूद रहे। पार्टी में शामिल होने के साथ ही ऐसे कयास लगाए जाने लगे की उनको लोकसभा का टिकट YSRCP की तरफ से दे दिया जाएगा। ऐसी तैयारिया भी हुई। लेकिन अभी पार्टी ज्वाइन किए हुए उन्हें दो सप्ताह भी नहीं हुआ है कि उन्होने राजनीति छोड़ने का ऐलान कर दिया है। इस फैसले ने सभी को चौका दिया है।

उन्होंने खुद राजनीति छोड़ने के फैसले के बारे में बताया। रायडू ने युवाजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (YSRCP) पार्टी से इस्तीफा दे दिया। हालांकि उन्होंने ये भी स्पष्ट किया है कि हमेशा के लिए पॉलिटिक्स नहीं छोड़ी है, बल्कि वो कुछ वक़्त के लिए ही राजनीति से ही दूर हुए हैं। पूर्व भारतीय क्रिकेटर ने सोशल मीडिया के ज़रिए अपने फैसले के बारे में बताया।


रायुडू ने ट्वीट कर लिखा, “ये सभी को सूचित करने के लिए है कि मैंने YSRCP पार्टी छोड़ने और कुछ वक़्त के लिए राजनीति से दूर रहने का फैसला किया है। आगे की कार्रवाई के बारे में सही वक़्त आने पर बताया जाएगा।”

इसको लेकर कई कयास लगाए जाने लगे है। आपको ये भी बता दें कि रायडू हमेशा से गुस्सैल स्वभाव के रहे हैं। कई विवादों से भी उनका पुराना नाता रहा है। रायडू साल 2019 तब खूब चर्चा में आए थे जब उन्हें इंग्लैंड में हुए वनडे विश्व कप की टीम में शामिल नहीं किया गया था। टीम के चयन में रायडू के नाम की खूब चर्चा थी, लेकिन उनकी जगह विजय शंकर को चुन लिया गया। ऐसे में उन्होंने सोशल मीडिया पर बोर्ड के खिलाफ भी लिखा। इसके बाद से ही उनका करियर ढलान की तरफ बढ़ गया। इसके अलावा भी उन्हें एक बार पब्लिक प्लेस में भी किसी से बहस करते हुए देखा गया था, जिसके कारण उनकी छवि को काफी नुकसान पहुंचा।

अब ये सवाल उठने लगे हैं कि कहीं उनका स्वभाव ही तो उनको राजनीति से दूर नहीं कर दिया है या फिर दाल में कुछ और काला है।