CM के धरने के बीच केंद्र ने राज्य को भेजा करीब 1000 करोड़ का आवंटन

फंड देकर केंद्र ने एक बार फिर राज्य पर बनाया दबाव

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कोलकाता, सूत्रकार : प्रदेश की सीएम ममता बनर्जी कई परियोजनाओं के बकाये की मांग को लेकर शुक्रवार से धरने पर बैठी हैं। इश बीच नरेंद्र मोदी सरकार से राज्य को करीब 1000 करोड़ का आवंटन भेजा गया। लेकिन ये रूपये उन परियोजनाओं के लिए नहीं जिसके लिए सीएम धरना दे रही है।

अब जानकारों का ममना है कि सीएम के धरने से घबड़ा कर केंद्र ने ये रूपये आज दिए हैं या फिर यह एक संयोग है।

वहीं, दसरे वर्ग का कहना है कि यह बिल्कुल संयोग नहीं है। केंद्र सरकार इस पैसे से राज्य सरकार को दबाव में रखना चाहती थी क्योंकि जिस प्रोजेक्ट के लिए पैसा दिया गया है वह 50:50 के अनुपात में बंटा हुआ है।

बता दें कि, सुब्रत मुखोपाध्याय जब राज्य के जन स्वास्थ्य तकनीकी मंत्री थे, तब उन्होंने बंगाल के हर घर में पाइप से पानी पहुंचाने का प्रोजेक्ट हाथ में लिया था लेकिन जिले में कोलकाता जैसी सुविधाएं नहीं हैं। इसलिए जिलों के लोग ट्यूबवेल का पानी आज भी इस्तेमाल करते हैं। हालांकि बंगाल में आर्सेनिक की समस्या प्रबल है इसलिए नदी या झील के पानी के साथ-साथ ग्राउंड वाटर को भी शुद्ध कर घर-घर पानी पहुंचाने की योजना बनाई गई है।

यूपीए सरकार की शुरुआत से ही इस परियोजना में मदद करने की योजना थी। इसका नाम राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन है। यह जल जीवन मिशन है जिसका नाम नरेंद्र मोदी सरकार में बदल दिया गया है।

सूत्रों के मुताबिक इस प्रोजेक्ट के लिए पैसा आवंटित कर दिया गया है। इसके अलावा, आज, शुक्रवार को, केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने उस परियोजना क्षेत्र में बंगाल के लिए 951 करोड़ 57 लाख रुपये आवंटित किए हैं जो कि 1 हजार करोड़ रुपये के करीब है। हालांकि, ये पैसे भेजने के पीछे एक केंद्र की एक बड़ी साजिश है, जिससे राज्य पर दबाव बढ़ गया है। जलशक्ति मिशन के तहत केंद्र-राज्य भागीदारी अनुपात 50:50 है।

इसलिए राज्य सरकार को भी इस परियोजना के लिए 951 करोड़ 57 लाख रुपये खर्च करने होंगे। यह अतिरिक्त दबाव है। जल जीवन मिशन क्षेत्र में केंद्र ने पैसा जारी कर बताया है कि 15 दिन के भीतर राज्य सरकार को भी उतनी ही राशि एस्क्रो अकाउंट में जमा करानी होगी। पत्र में यह भी बताया गया है कि इस पैसे को किसी भी तरह से दूसरे सेक्टरों में नहीं लगाया जा सकता है।