अपने बलबूते और ताकत से नयी पहचान बनाएगा झारखंडः हेमंत सोरेन

झारखंड स्थापना दिवस

रांची: राज्य ने आज अपने 22 साल पूरे कर लिए। इस मौके पर आज मोरहाबादी मैदान, रांची भी गुलजार रहा. स्थापना दिवस समारोह कार्यक्रम में सीएम हेमंत सोरेन ने राज्यवासियों को आश्वस्त करते कहा कि राज्य अब गरीबी, अशिक्षा और अन्य चुनौतियों को पार करते आगे बढ़ रहा है।

पिछले 21 वर्षों तक यह राज्य भगवान भरोसे छोड़ दिया गया था। अब जनता का आशीर्वाद रहा तो आने वाले समय में यह राज्य भगवान भरोसे नहीं रहेगा।

अपने बलबूते और अपनी ताकत के भरोसे खड़ा होगा, अपनी पहचान बनाएगा। अभी जो विकास की डोर बनने लगी है, अगर वह टूटी तो फिर ढाक के तीन पात होंगे। अब हर हाल में गरीबी और दूसरे अभिशाप को इस राज्य से दूर करने का संकल्प हमने लिया है।

इस मौके पर परिसंपत्तियों के वितरण भी उनके और झामुमो प्रमुख तथा पूर्व सीएम शिबू सोरेन के हाथों किया गया। मुख्यमंत्री शिक्षा प्रोत्साहन योजना, झारखंड गुरूजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना, झारखंड एकलव्य प्रशिक्षण योजना की लॉन्चिंग की गयी।

सांकेतिक तौर पर कई इंजीनियरों (पथ निर्माण, जल संसाधन), नर्सों, लेखा पदाधिकारी (नगर विकास) को नियुक्ति पत्र दिये गये। इस दौरान मंत्री आलमगीर आलम, सत्यानंद भोक्ता, राज्यसभा सांसद महुआ माजी, कांग्रेस के झारखंड प्रभारी अविनाश पांडे, मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, कार्मिक सचिव वंदना डाडेल, डीजीपी नीरज सिन्हा सहित कई गणमान्य भी उपस्थित थे।

सीएम ने कहा कि दिसंबर 2019 में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद राज्य ही नहीं, दुनियाभर में कोरोना महामारी का संकट खड़ा हो गया।

इससे धैर्यपूर्ण तरीके से 2 सालों तक निपटने के बाद अब जब राज्य सामान्य होने को आगे बढ़ रहा था तो 250 प्रखंडों में सुखाड़ की स्थिति पैदा हो गयी है।

पहले राज्य में समय पर किसानों को बीज नहीं मिलता था जिससे वे समय पर खेती नहीं कर पाते थे। अब बीज मिल रहा है तो बारिश नहीं होने से विचित्र संकट की स्थिति बन गयी है। राज्य सरकार का ध्यान इस पर है कि ऐसी योजनाएं बने जिससे अगले 5 सालों में हर खेत को पानी नसीब हो सके।

जिन किसानों का अभी नुकसान हुआ है, उन्हें कैंपेन चलाकर 3500 रुपये प्रति हेक्टेयर दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना, पशुधन योजना, बिरसा हरित ग्राम योजना और अन्य के जरिये हर वर्ग को उनकी क्षमता के अनुसार लाभ पहुंचाने की कोशिश हो रही है।

बगैर ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत किये राज्य आगे नहीं बढ़ेगा। जड़ मजबूत होगा तभी पेड़ भी। ऐसे में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने को कई योजनाएं चलायी गयी हैं।

सीएम के मुताबिक राज्य में शिक्षा मजबूत नहीं होने से लोगों को ठगा जाता रहा है। यह आगे नहीं बढ पाता है। ऐसे में बच्चियों के लिए सावित्री बाई फुले योजना लाई गयी है।

18 साल की होने पर किशोरी बच्चियों को एकमुश्त 18 हजार रुपया मिलेगा। उन्होंने किशोरियों, बच्चियों से अपील करते कहा कि किसी भी स्थिति में पढ़ाई नहीं छोड़नी है। 18 साल के बाद भी जारी रखना है।

राज्य सरकार उनकी सहुलियत, रुचि के अनुसार हर तरह की पढ़ाई, तैयारी के लिए प्रोत्साहन राशि देगी। अन्य मदद भी मिलेगी। ऊंची पढाई के लिए अगर विदेश जाना हो तब भी सरकार स्कॉलरशिप के जरिये मदद देगी।

यह देश का पहला राज्य है जहां के आदिवासी, दलित, पिछड़े बच्चे विदेशों में सरकारी मदद से पढ़ाई कर रहे हैं। अभी 20-25 बच्चे बाहर पढ़ाई कर रहे हैं और जब वे 1-2 साल बाद लौटेंगे तो राज्य को भी मजबूत करेंगे।

बच्चों को बेहतर पढ़ाई मिले, इसके लिये टीचरों की विशेष ट्रेनिंग आइआइएम में हो रही है। ऐसे ट्रेंड टीचर जब आएंगे तो बच्चों को ऐसी पढाई अपने स्कूलों में मिलेगी जिससे उनमें प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने का लालच नहीं बनेगा।

गांवों के विकास के लिए कई प्रयास हो रहे हैं। कभी 20 सालों में ऐसा नहीं देखा गया कि गांव गांव में अफसर जाकर शिविर लगाकर समस्याओं का समाधान करें। भौगोलिक बनावट भी इस राज्य की ऐसी है कि कोई पदाधिकारी गांव जाने से कतराता था। आज वे जा रहे हैं।

आपके द्वार कार्यक्रम में 54 लाख आवेदन प्राप्त हुए। 45 लाख लोगों ने ये आवेदन दिए थे। इससे यह दिखता है कि गांव में कोई जाता ही नहीं था। 20 सालों तक यह दुर्भाग्य रहा। 54 लाख में से लगभग 35 लाख आवेदनों को उसी शिविर में निष्पादित कर दिया गया है। 2021 में भी शिविर लगाया था।

लाखों आवेदन उस समय भी आये थे।असल में विगत 20 सालों में गांवों की समस्याओं का निदान तो छोड़िए, कर्मियों का मनोबल टूटा हुआ था। आज उनका मनोबल बढ़ाते उनकी हौसलाअफजाई की गयी है।

हर वर्ग के कर्मचारियों के चेहरे पर मुस्कान है। नियुक्तियां लगातार हो रही हैं।पूर्व में ना जाने कितने नौजवानों का भविष्य खराब हो गया। आज इस मंच से 1000 बच्चों को नौकरी दी गयी है। 250 युवाओं को जेपीएससी के माध्यम से अफसर की नौकरी मिली है। इनमें 30-32 बच्चे तो बीपीएल परिवार से थे। 20 सालों में ऐसा उल्लेखनीय काम नहीं हुआ।

 

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