इंसाफ के मंदिरों पर लगते धब्बे

देश की आजादी के साथ ही संविधान की रचना हुई। संविधान को सही तरीके से लागू कराने के लिए कार्यपालिका, विधायिका तथा न्यायपालिका की व्यवस्था हुई। सरकारी कामकाज में जुटी लालफीताशाही को ही कार्यपालिका का नाम दिया गया जिससे काम कराने का जिम्मा विधायिका को सौंपा गया।

विधायिका में समाज के वे प्रतिनिधि हैं जिन्हें हम चुनकर विधानसभा या संसद में भेजते हैं। और विधायिका तथा कार्यपालिका ने सही तरीके से जनता की सेवा का काम किया है अथवा नहीं तथा कानूनों का सही ढंग से पालन हो रहा है या नहीं, इसकी नजरदारी का काम न्यायपालिका को सौंपा गया।

आजादी के बाद से लगातार कार्यपालिका और विधायिका के कामकाज पर आम लोग सवाल उठाते रहे हैं। लोगों के इन सवालों का अदालतें समाधान तलाशती रही हैं। काल-क्रम में यह भी देखा गया कि अदालतों ने कार्यपालिका और विधायिका के कार्यक्षेत्र में घुसपैठ शुरू किया जिसका राजनीतिक तौर पर काफी विरोध होता रहा है। कई राजनेताओं को अदालती फैसले कड़वे लगे और बाकायदा न्यायपालिका पर जुडिशियल एक्टिविज्म या न्यायिक सक्रियता के आरोप मढ़े जाने लगे।

अपने खास मकसद को पूरा करने के लिए राजनेताओं ने जब कानून को अपने हिसाब से लागू करना शुरू किया तो अदालतों को हस्तक्षेप करना पड़ा। जाहिर है कि इससे राजनेताओं की भौंहें तनीं। मगर शुक्र है कि न्यायपालिका देशसेवा के काम में अडिग रही और सेवा के व्रत से अदालतों ने कभी मुंह नहीं मोड़ा।

अब न्यायपालिका को सुदृढ़ करने की दिशा में भारत के नए मुख्य न्यायाधीश जस्टिस चंद्रचूड़ का नाम जुड़ा है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने अपने पद की शपथ के बाद आमलोगों की सेवा की बात कही है तथा बाकायदा न्यायिक सुधारों पर बल देने को कहा है। इन सुधारों में जनभागीदारी तय करने का संकेत दिया गया है- जो सराहनीय है।

ज्ञात रहे कि जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता भी भारत के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं और उनके कार्यकाल में कई अहम फैसले लिए गए थे। ऐसे में नए मुख्य न्यायाधीश द्वारा न्यायिक सुधारों में जनता की भागीदारी तय करने की जो बात कही गई है, उसका राजनीतिक महत्व क्या होगा तथा राजनेताओं की टीम उनसे कितनी सहमत होगी-इसका फैसला वक्त करेगा लेकिन नए चीफ जस्टिस को इस बात का ध्यान रखना होगा कि जनता को न्यायपालिका पर जो भरोसा है, वह उत्तरोत्तर और मजबूत हो।

कई मामलों में कुछ अदालतों पर अतीत में छींटाकशी की जाती रही है तथा कई जजों के आचरण पर भी सवाल उठते रहे हैं। खासकर सत्तारूढ़ दल के लोगों द्वारा प्रायः कानून को तोड़-मरोड़ कर अपनी सुविधाजनक राह निकालने की जुगत लगाते देखा गया है जिससे जनता भ्रमित होती है। भ्रम इस बात का होता है कि कानून भी कहीं आम और खास लोगों के लिए अलग-अलग तो नहीं।

ऐसे में जनभागीदारी तय करने के साथ ही जनता को इस बात का भरोसा भी दिलाना होगा कि कानून सबके लिए बराबर है तथा हमारा संविधान हर नागरिक को समानता का अधिकार देता है। नए चीफ जस्टिस से देश को काफी उम्मीदें हैं और इस बात का भरोसा भी है कि जस्टिस चंद्रचूड़ इंसाफ के मंदिरों पर लग रहे धब्बों को मिटा कर न्यायपालिका को एक नया आयाम देंगे।

chandrachudchandrachud justicechief justice of indiady chandrachuddy chandrachud chief justicedy chandrachud chife justicedy chandrachud speechjustice chandrachudjustice chandrachud casesjustice chandrachud latestjustice chandrachud oathjustice chandrachud speechjustice chandrachud verdictsjustice d y chandrachudjustice dy chandrachudjustice dy chandrachud to be 50th cjijustice dy chandrachud to take oathjustice dy chandrachur