बिल्ली के दाँत

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एक बात अपने यहां लोग बड़ी चाव से कहा करते हैं। बिल्ली के दाँत गिने ही नहीं और चल दिए शेर के मुंह में हाथ डालने। ये महज एक कहावत ही है। लेकिन सचमुच अगर कोई ऐसा ही करना चाहे तो उसे क्या कहा जाएगा, ढीठ या बेवकूफ अथवा कुछ और…। दरअसल खालिस्तान समर्थक लोगों के एक विदेशी संगठन ने भारत के खिलाफ विदेशों में हमलावर रवैया अपना लिया है। सिख फॉर जस्टिस नाम से एक अभियान छेड़ा जा रहा है जिसमें एक रैली निकालने की तैयारी हो चुकी है। यह रैली कनाडा, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया स्थित भारतीय दूतावासों में काम कर रहे लोगों तक पहुंचेगी। इसका नाम दिया गया है किल इंडिया। कितना साहस है इस नाम में। विदेशों में रहकर भारत को जान से मारने की सोच। हुआ न यह भी बिल्ली के दाँत गिने बगैर शेर के मुंह में हाथ डालने जैसा। दरअसल पंजाब के कुछ खालिस्तान समर्थकों की अगुवाई करने वाले हरदीप सिहं निज्जर की कनाडा में कुछ अज्ञात लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। निज्जर भी कुख्यात आतंकवादी था। कथित तौर पर उसके साथियों को लगता है कि भारत सरकार के इशारे पर ही कनाडा में उसे गोली मारी गई है। और इसका बदला भारत सरकार से लेने की तैयारी में कहा जा रहा है कि दूतावासों में काम कर रहे लोगों पर खालिस्तान समर्थक हमला करेंगे। इस तैयारी से अवगत भारत सरकार की ओर से भी सभी संबंधित देशों को आगाह किया जा चुका है। समझा जाता है कि कुछ देशों की सरकारें इस संभावित हमले से सावधान भी हैं। लेकिन सोचने की बात है कि आखिर भारत के खिलाफ विदेशी जमीन से जंग का ऐलान करने वालों के पीछे आखिर कौन सी ताकत काम कर रही है और उसका मकसद क्या है।

कनाडा में भारतीय मूल के तकरीबन 24 लाख लोग रहा करते हैं जिनमें 7 लाख सिख हैं। हो सकता है कि वोट बैंक की चिंता से ही कनाडा की सरकार भारत विरोधी गतिविधियों को रोकने में खुद को असमर्थ पा रही है। कनाडा में भारतीय मूल के सांसद चंद्र आर्य का कहना है कि चारों ओर साँप भरे पड़े हैं, लगातार फुफकार भी रहे हैं। इनके जहर से आखिर कबतक बचा जा सकता है। भारत की ओर से भले ही अरिंदम बागची ने कनाडा सरकार को इस मामले में सजग रहने की सलाह दी है लेकिन इंदिरा गांधी के शहादत के दिन को कनाडा में विजयोत्सव के तौर पर मनाने वाले खालिस्तान समर्थकों की नकेल कसने में वहां की सरकार अभी भी लापरवाही बरत रही है। ऐसे में किल इंडिया का सपना देखकर विदेशी जमीन को भारत के खिलाफ इस्तेमाल करने वाले बहादुरों को शायद यह पता नहीं है कि भारत कोई भींगी बिल्ली नहीं है जो किसी की बंदरघुड़की से डर जाए।

भारत के खिलाफ जंग छेड़ने वालों को पहले अपनी औकात समझ लेनी चाहिए। यह मालूम है कि पड़ोस में बैठे पाकिस्तान की ओर से इन आतंकवादियों को लगातार शह दी जा रही है। पाकिस्तान के जिस तरह दो टुकड़े भारत ने किए थे, वह शायद खालिस्तानियों के बूते भारत के भी टुकड़े करने का ख्याली पुलाव पका रहा है। लेकिन विदेशों में रहकर किल इंडिया के सपने देखने वाले वीरों को पता नहीं कि पड़ोस में बैठा उनका आका पाकिस्तान वक्त पर भाग खड़ा होगा। आईएसआई के एजेंटों की मदद से भारत पर हमले की बात अगर सोची गई तो एक-एक खालिस्तानी का सफाया हो जाएगा। ध्यान रहे, तमाम राजनीतिक विविधताओं के बीच भारत हमेशा विदेशी ताकतों के सामने एक रहा है। मुंगेरी लाल के हसीन सपने सजा रहे खालिस्तान समर्थक विदेशों से पाकिस्तान की शह पर भारत को मात देने की सोच रहे हैं तो इनसे बड़ा मूर्ख दुनिया में कोई नहीं है। सावधान..।