केंद्र सरकार ने अनुच्छेद-370 हटाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिकाओं पर आज अपना जवाबी हलफनामा दायर कर दिया है। गृह मंत्रालय ने हलफनामे में कहा है कि जम्मू कश्मीर पिछले तीन दशकों से आतंकवाद का दंश झेल रहा था, इसको खत्म करने के लिए अनुच्छेद-370 हटाना ही एकमात्र उपाय था। केंद्र ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ घाटी में जीरो-टॉलरेंस की नीति अपनाई जा रही है।
केंद्र ने जवाबी हलफनामे में कहा कि आज घाटी में स्कूल, कॉलेज, उद्योग समेत सभी जरूरी संस्थान सामान्य रूप से चल रहे हैं। राज्य में औद्योगिक विकास हो रहा है और डरकर जी रहे लोग सुकुन से जी रहे हैं। केंद्र ने बताया कि आतंकवादी-अलगाववादी एजेंडे के तहत साल 2018 में 1767 संगठित पत्थर फेंकने की घटनाएं हुई, जो 2023 में मौजूदा तारीख तक शून्य हैं।
केंद्र ने आगे कहा कि साल 2018 में 52 बंद और हड़ताल हुईं, जो कई दिनों तक चलीं और साल 2023 में आज की तारीख तक शून्य हैं। केंद्र ने कहा कि एंटी-टेरर एक्शन का परिणाम घाटी में देखने को मिला है, जिससे उनके इको-सिस्टम को भारी आघात लगा है। सरकार ने बताया कि घाटी में आतंकी भर्ती में भी भारी कमी आई है। यह आंकड़ा साल 2018 में 199 था, जो साल 2023 में आज की तारीख तक घटकर 12 पहुंच गया है।
केंद्र ने हलफनामे में बताया कि जनता की बेहतरी के लिए घाटी में कई योजनाएं शुरू की गई हैं। घाटी में औद्योगिक विकास के लिए केंद्र ने 28 हजार 400 करोड़ रुपए का बजट रखा। साथ ही घाटी के लिए 78 हजार करोड़ रुपए के निवेश के प्रस्ताव भी मिल चुके हैं।