साइबर ठगी या साइबर आतंकवाद

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देश के कई कोने से लगातार इस तरह की शिकायतें आजकल आम हो रही हैं कि किसी ने फोन पर किसी को ठग लिया है। साइबर ठगी की वारदातों से परेशान पुलिस वाले भी कभी-कभार इस ठगी के शिकार हो रहे हैं।

सबसे हैरतअंगेज बात है कि ठगों के इस गिरोह के साथ कौन-कौन से तत्व जुड़े हुए हैं या किन लोगों की साजिश से आम भारतीयों को लूटा जा रहा है-इसका अभी तक कोई खास पता नहीं लग सका है। कहने को किसी जामताड़ा गिरोह की बात की जा रही है लेकिन शायद यह पूरा सच नहीं है।

इस गिरोह के लोग ई-कॉमर्स साइटों या अन्य माध्यमों के जरिए पहले अपने शिकार की पहचान करते हैं और बाद में फोन पर संपर्क करके कभी डेबिट कार्ड का पिन नंबर तो कभी क्यूआर कोड की मांग करने लगते हैं। इस साइबर ठगी के जरिये लोगों को कई तरह के प्रलोभन दिए जाते हैं।

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अधिक लाभ की आस में आम लोग ठगी के शिकार हो रहे हैं। कथित तौर पर जामताड़ा गिरोह के लोगों ने अपना नेटवर्क विस्तृत कर लिया है। बंगाल-बिहार-झारखंड की सीमा से निकलकर इन्होंने उत्तरप्रदेश और हरियाणा की सीमा को भी अपने निशाने पर ले लिया है।

दरअसल जामताड़ा का भौगोलिक अवस्थान झारखंड और बंगाल की सीमा के पास है जिससे अपराधी किसी भी तरह का साइबर अपराध करके आसानी से एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश में प्रवेश कर जाते हैं। और पुलिस उन्हें तलाशती रह जाती है।

दुखद पहलू यह भी है कि ज्यादातर पुलिसवालों को भी इनकी जालसाजी का पता तब चलता है, जब कुछ लोग इनकी ठगी के शिकार हो जाते हैं।

इस पर रोक लगाने की जरूरत है। जितनी तेजी से डिजिटलीकरण हो रहा है उतनी ही तेजी से ठगी का जाल बिछ रहा है। सरकारी तंत्र को चाहिए कि किसी भी ऐसी नई विधा को जारी करने से पहले उसे नियंत्रित करने के तरीकों का भी ईजाद कर लिया जाए।

अगर ठगों को ऐसे ही निरंकुश छोड़ दिया गया तो भारत सरकार के डिजिटल इंडिया के सपनों को साकार होने में काफी वक्त लग जाएगा क्योंकि ज्यादातर लोगों को लेन-देन की बारीकियों के बारे में अभी भी सही जानकारी नहीं है।

डिजिटल इंडिया के उन्नायकों को चाहिए कि लोगों को डिजिटल प्रयोग के लिए तैयार करने के साथ ही डिजिटल ठगी से बचने के तौर-तरीकों से भी वाकिफ कराएं। ठगी के अलावा एक संभावना और उभरने लगी है।

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि ठगों के पीछे उन आतंकी तत्वों की मिलीभगत भी हो सकती है जिन्होंने अपनी नियमित फंडिंग पर रोक लगने के बाद किसी भी सूरत में फंड बटोरने की जुगत भिड़ा रखी हो।

अगर जामताड़ा गिरोह के साथ किसी आतंकी संगठन की सांठगांठ हुई या किसी आतंकी संगठन ने ऐसे ठगों को अपने साथ जोड़ा तो देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा खतरा पैदा हो सकता है।

बेहतर यही है कि सरकार जितनी जल्दी हो सके, इस मामले में गंभीर हो और साइबर ठगी के गिरोहों पर अंकुश लगे। इससे लोगों का डिजिटल व्यवस्था के प्रति विश्वास बढ़ेगा।