राहुल को राहत
देश की सर्वोच्च अदालत ने राहुल को फिलहाल राहत दी है। उन्हें उनके संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व मिला है। लेकिन इसके साथ ही उनके लिए भविष्य की चेतावनी भी जरूर है कि किसी भी जाति या धर्म के खिलाफ ऐसी टिप्पणी न की जाए जिससे किसी वर्ग विशेष की भावनाएं आहत हों।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को मोदी उपाधि पर उनकी टिप्पणी के कारण कितनी जहमत झेलनी पड़ी है, इसका उदाहरण पूरा देश देख रहा है। सुखद बात यही है कि सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल उन्हें अंतरिम राहत देते हुए उनकी सांसदी को बरकरार रखा है। इससे कांग्रेस के तमाम लोगों को खुश होने का मौका जरूर हासिल हुआ है लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के फैसले पर जो टिप्पणी की है, उसे भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
जनादेश का अपमान
अदालत का मानना है कि मोदी सरनेम का जिस लहजे में राहुल ने इस्तेमाल किया उससे पता चलता है कि उन्होंने गलतबयानी की है। लेकिन राहुल गांधी एक सांसद भी हैं। और एक सांसद को चुनने के पीछे लाखों लोगों की भावनाएं जुड़ी होती हैं। ऐसे में राहुल गांधी का अपराध सुप्रीम कोर्ट को उतना गंभीर नहीं लगा जिसके कारण वायनाड के लाखों मतदाताओं के जनादेश का अपमान किया जाए। अलबत्ता अदालत ने अपने फैसले को जारी रखते हुए राहुल गांधी की भाषा पर ऐतराज जरूर जताया है लेकिन साथ ही यह भी कहा है कि जनप्रतिनिधि को कठोरतम सजा देने के बारे में निचली अदालत ने कोई वजह नहीं बताई है।
इस फैसले का कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष स्वागत करेगा। राहुल गांधी अपने संसदीय क्षेत्र के लोगों को भी आज खुश होने का एक मौका देंगे। फिर भी अदालती टिप्पणी का गूढ़ार्थ समझने लायक है। निचली अदालत ने कोई वजह नहीं बताई है- इसका भी खास मतलब हो सकता है। इसी प्रसंग में महाभारत काल की एक कथा का स्मरण हो रहा है।
न्याय की दुहाई
महाराज धृतराष्ट्र के दरबार में एक ही किस्म के अपराध के कई अपराधियों को पेश किया गया था। न्याय की दुहाई दी जा रही थी। अपराधियों को बारी-बारी से सजा सुनाई जा रही थी। उनमें संयोग से एक विद्वान भी था जिसने अपराध में साथ दिया था। महामंत्री विदुर के परामर्श से उस विद्वान को सबसे कड़ी सजा सुनाई गई तो सवाल उठा कि बाकी के अपराधियों को कम तथा विद्वान को अधिक सजा क्यों दी जा रही है। सबका अपराध तो बराबर ही है।
इसके जवाब में विदुर ने कहा था कि जो अनपढ़ या नासमझ हैं- उनसे अपराध होना लाजिमी है। इसलिए उनकी सजा कम होनी चाहिए लेकिन जो समझदार है, जिसके कंधों पर समाज को आगे ले चलने का जिम्मा सौंपा गया हो- अगर वही अपराधी निकले तो उसकी सजा दूसरों की तुलना में अधिक होनी चाहिए। आशय यह कि राहुल गांधी ने जिस तरह एक जाति विशेष के लिए प्रयोग की जाने वाली उपाधि को लेकर टिप्पणी की थी, वह किसी जनप्रतिनिधि को शोभा नहीं देती।
भविष्य की चेतावनी
देश की सर्वोच्च अदालत ने राहुल को फिलहाल राहत दी है। उन्हें उनके संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व मिला है। लेकिन इसके साथ ही उनके लिए भविष्य की चेतावनी भी जरूर है कि किसी भी जाति या धर्म के खिलाफ ऐसी टिप्पणी न की जाए जिससे किसी वर्ग विशेष की भावनाएं आहत हों। राहुल गांधी में काफी संभावनाएं हैं। देश की युवा पीढ़ी उनसे उम्मीद लगाए बैठी है। वे एक ऐसी पार्टी के अगुवा हैं जिसने कई दशकों तक देश को दिशा दी है और भविष्य में भी देने के काबिल है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ ही राहुल गांधी के लिए भी आगामी आमचुनाव के लिए अग्रिम शुभकामनाएं। राहुल प्रकरण से अन्य नेताओं को भी सबक सीखने का मौका मिलेगा तथा समाज में बोलचाल के तहत एक शालीन भाषा का प्रयोग किया जाएगा, यही उम्मीद है।