राष्ट्र और सियासत

भारतीय वैज्ञानिकों के अथक प्रयास तथा उनकी सघन तपस्या के कारण आज भारतीय तिरंगा चांद पर लहरा रहा है। यह कृतित्व किसी दल विशेष या किसी नेता का नहीं। यह भारत की विश्व विरादरी में विशुद्ध जीत का नमूना है।

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अपना लोकतंत्र लगता है कि अब सचमुच किशोरावस्था से वयस्क होकर तेजी से समझदार होने लगा है। यही वजह है कि इंसान अब राष्ट्र को भी सियासत समझने लगा है। इतनी समझदारी पैदा करने का श्रेय जाहिर तौर पर हमारे राजनेताओं को ही जाता है जिन्होंने सामाजिक माहौल को इस कदर गंदा कर दिया है कि आदमी देश में होने वाली किसी भी घटना को अब सियासी चश्मे से देखने का आदी हो चुका है। यह बदलाव हो सकता है कि वोटों की सियासत करने वालों को भले ही रास आए लेकिन इससे कहीं न कहीं भारत को एक राष्ट्र समझने वाले लोगों को इससे तकलीफ पहुंची है।

भारतीय तिरंगा चांद पर

मिसाल के तौर पर चंद्रयान मिशन को लिया जा सकता है। भारतीय वैज्ञानिकों के अथक प्रयास तथा उनकी सघन तपस्या के कारण आज भारतीय तिरंगा चांद पर लहरा रहा है। यह कृतित्व किसी दल विशेष या किसी नेता का नहीं। यह भारत की विश्व विरादरी में विशुद्ध जीत का नमूना है। पूरी दुनिया तथा खासकर दुनिया की तमाम तथाकथित महाशक्तियां भारतीय वैज्ञानिकों के इस पराक्रम को देख कर दंग रह गई हैं। लेकिन अपनी ही धरती पर कुछ ऐसे भी जीव विचरण कर रहे हैं जिन्हें इस उपलब्धि का भान नहीं हो रहा है। उन्हें केवल राजनीति से मतलब है।

ध्यान रहे कि जिन भारतीय लोगों को भारत के चांद पर जाने की खबर से परेशानी हो रही है, उन्हें भी इसी समाज में रहना है। वे भी इसी समाज के अंग हैं। उन्हें पहले इस पूर्वाग्रह से बाहर निकलना होगा कि चांद पर तिरंगा स्थापित करने वाले हाथ किसी राजनेता के हैं। बल्कि ये हाथ हमारे वैज्ञानिकों के हैं। उन्हें सोचना चाहिए कि राजनैतिक वैमनस्यता के कारण कहीं वे अपनी विरासत को ही तो नहीं नीचा दिखाने की कोशिश कर रहे। देश के वृहत्तर नागरिक समाज को पता है कि कुछ मुट्ठी भर सियासी दलों के पिट्ठू ही भारत नामक राष्ट्र के प्रतीक नहीं हो सकते।

अंतरिक्ष में परचम

हकीकत यह है कि राजनेताओं की चमचागिरी करते-करते इनके चश्मे का पावर घिस गया है। इसरो ने जो कमाल किया है उससे भविष्य की तस्वीर और साफ हो चली है तथा वह दिन दूर नहीं जब भारतीय वैज्ञानिकों का अंतरिक्ष में परचम लहराएगा। चांद पर विजय पाने की घटना की निंदा या आलोचना करने वालों को कम से कम इस बात की समझ होनी चाहिए कि भारत का धुर विरोधी पाकिस्तान भी हमारे वैज्ञानिकों की उपलब्धि की सराहना कर रहा है।

चंद्रयान की सफलता ने भारत के लिए अंतरिक्ष में एक नई खिड़की खोल दी है। चांद के दक्षिणी ध्रुव पर अबतक किसी ने भी पहुंचने का साहस नहीं दिखाया था, लेकिन भारत ने वह कर दिया है। इससे दुनिया के ऐसे तमाम देशों की भारत के प्रति दिलचस्पी बढ़ेगी जिन्हें अंतरिक्ष में पहुंचने की ललक है। भारत को इस नयी तरक्की से आर्थिक विकास के आयाम भी हासिल होंगे जिनका प्रयोग देश की तरक्की के लिए होगा।

इसके अलावा देश के नौनिहालों में विज्ञान के प्रति आकर्षण बढ़ेगा तथा भारत दुनिया में एक नया मुकाम हासिल करेगा। जरूरत है कि हमारे राजनेता कम से कम राष्ट्र और सियासत को अलग-अलग समझें। राष्ट्र से सियासत हो सकती है लेकिन सियासत से राष्ट्र नहीं है। राष्ट्र किसी भौगोलिक इकाई का नाम नहीं, भावनाओं का प्रतिबिंब होता है। इसे कम से कम राजनीति के लिए कलुषित न किया जाए।