जननी जन्मभूमिश्च

इजरायल ने एक नजीर जरूर पेश की है जिसकी तारीफ करनी चाहिए। नजीर यह कि जब इजरायलियों को लगा कि वतन की आबरू को खतरा है तथा सारे दुश्मन एक होकर इजरायल के निरीह लोगों की जान लेने पर तुले हैं तो इजरायल के सारे राजनीतिक दलों ने अद्भुत एकता का परिचय दिया है।

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अपने यहां एक नीति श्लोक प्रचलित है जिसमें जन्मभूमि को सर्वश्रेष्ठ कहा गया है और इसकी रक्षा के लिए कोई भी कीमत अदा की सीख दी गई है।

भूमेः गरीयसी माता, स्वर्गादुच्चतरः पिता।
जननी जन्मभूमिश्च, स्वर्गादपि गरीयसी।।

भारतवासी इसी सिद्धांत को मानते रहे हैं जिसकी मिसाल के तौर पर देश की आजादी की लड़ाई को पेश किया जा सकता है। आजाद भारत के सपने को साकार करने के लिए लाखों लोगों ने अपना सबकुछ न्यौछावर किया, सूली पर चढ़े, खून बहाया तब जाकर मिली भारत को आजादी। किसी भी गैरतमंद मुल्क के लिए यह जरूरी है कि उसके नागरिक देश पर संकट आए तो अपना सबकुछ कुर्बान कर दें। पश्चिम एशिया में भी आज यही देखा जा रहा है। जिस तरह एक आतंकी संगठन ने अचानक कुछ लोगों पर जानलेवा हमला किया और इजरायल के लोगों को बंदी बनाकर ले भागे तथा अब निरीह बंधकों की हत्याएं कर रहे हैं- इस घटना की जितनी भी निंदा की जाए, कम है।

इंसानियत के दुश्मन

किस देश का किसके साथ दोस्ताना या दुश्मनी का रिश्ता है, यह बाद की बात है। लेकिन इंसानियत का दुश्मन होना सबसे बड़ा गुनाह है। ऐसे गुनाह की इजाजत दुनिया का कोई मजहब नहीं देता है। फिर भी दुर्भाग्यवश इजरायल और फिलिस्तीन के बीच इंसानियत को ही मौत का शिकार बनाया जा रहा है। हमास ने जो गलती पहले की, बाद में यदि इजरायल की ओर से निरीह लोगों की हत्या की जा रही है तो इसकी भी उतनी ही निंदा की जानी चाहिए।

इसी बीच इजरायल ने एक नजीर जरूर पेश की है जिसकी तारीफ करनी चाहिए। नजीर यह कि जब इजरायलियों को लगा कि वतन की आबरू को खतरा है तथा सारे दुश्मन एक होकर इजरायल के निरीह लोगों की जान लेने पर तुले हैं तो इजरायल के सारे राजनीतिक दलों ने अद्भुत एकता का परिचय दिया है। सारे दलों ने आपसी मतभेद को किनारा करके एक राष्ट्रीय सरकार का गठन किया है जिससे दुश्मन को यह संकेत दिया जा सके कि इजरायली राजनेता देश की कीमत पर राजनीति नहीं किया करते।

जंग तो छिड़ी है और इस जंग का नतीजा क्या होगा, इसके बारे में कयास लगाना अभी से सही नहीं होगा। मगर जिस एकता का परिचय देते हुए इजरायली सियासी नेताओं ने साथ मिलकर लड़ना शुरू किया है उससे दुनिया के दूसरे देशों को भी सबक लेने की जरूरत है।

जननी जन्मभूमिश्च चरितार्थ

प्रसंगवश भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का उल्लेख किया जा सकता है। उन्होंने भी ऐसी ही एक राष्ट्रीय सरकार के गठन की पहली बार वकालत की थी क्योंकि तब चुनाव में किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था। उस दौरान वाजपेयी ने सुझाव दिया था कि ऐसी हालत में सदन से कहा जाना चाहिए कि वह खुद अपना नेता चुने तथा बाद में उसी नेता की कैबिनेट के जरिए सरकार चले। बात आई-गई खत्म हो गई।

लेकिन राष्ट्रीय सरकार की अवधारणा का जो प्रारूप इजरायल में देखा जा रहा है तथा दुश्मन से हर हाल में लड़ने के लिए जिस तरह हर दल के लोग तैयार हैं, उससे जननी जन्मभूमिश्च वाली बात चरितार्थ होती है। जंग अपनी जगह, नतीजे भी अपनी जगह हैं। सबक महत्वपूर्ण है। देश पर यदि संकट हो तो किसी भी हाल में सियासत नहीं होनी चाहिए। इस एकजुटता के लिए तेल अवीव के शासकों को साधुवाद।