खेल खेल में
वर्तमान प्रतियोगिता के पहले ही मैच में भारत के सामने हारी ऑस्ट्रेलियाई टीम का गुरूर जरूर कम हुआ होगा लेकिन एक मैच में हारने का मतलब यह नहीं कि कंगारू सदा के लिए भारत के सामने आत्मसमर्पण कर चुके हैं। प्रतियोगिता में अभी और भी बहुत कुछ होना बाकी है!
विश्वकप क्रिकेट प्रतियोगिता की शुरुआत हो चुकी है और भारत ने अपने पहले ही मैच में जिस तरह ऑस्ट्रेलिया को 6 विकेट से पीटने का काम किया है, उससे देश के क्रिकेट प्रेमियों को बड़ी राहत मिली है। यह वही ऑस्ट्रेलिया है जिसने पांच बार विश्वकप जीतने का रिकॉर्ड अपने नाम रखा है तथा कई बार भारत को इसने खून के आंसू रुलाए हैं। ऑस्ट्रेलियाई टीम के खिलाड़ियों पर कई बार गेंद के साथ छेड़छाड़ करने के आरोप भी लगते रहे। चाहे 1987 रहा हो, 1999, 2003 या 2015 का सेमीफाइनल हो, हर बार विश्वकप में भारत के लिए ऑस्ट्रेलिया सबसे बड़ी बाधा बनता रहा है।
वर्तमान प्रतियोगिता के पहले ही मैच में भारत के सामने हारी ऑस्ट्रेलियाई टीम का गुरूर जरूर कम हुआ होगा लेकिन एक मैच में हारने का मतलब यह नहीं कि कंगारू सदा के लिए भारत के सामने आत्मसमर्पण कर चुके हैं। प्रतियोगिता में अभी और भी बहुत कुछ होना बाकी है लेकिन जिस समझदारी से विराट और राहुल ने भारतीय पारी को सहेजा तथा ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजी को छकाते हुए अपना लक्ष्य पूरा किया, इसके लिए दोनों ही बल्लेबाजों को साधुवाद दिया जाना चाहिए।
करो या मरो की नीयत
राहुल हो सकता है कि अभी नए हैं लेकिन विराट के अनुभव ने काम किया। सबको ज्ञात है कि भारत की हालत ऑस्ट्रेलिया से भी ज्यादा खराब तब हो गई थी जब महज दो रन पर ही तीन खिलाड़ी पेवेलियन लौट गए थे। लेकिन विराट कोहली ने राहुल के साथ मिलकर जिस समझदारी से पारी को आगे बढ़ाया, उससे यह लगभग तय हो गया कि भारतीय खिलाड़ी करो या मरो की नीयत से ही मैदान पर उतर रहे हैं। यही लय अगर बनी रही तो विश्वकप प्रतियोगिता आगे और भी रोचक मोड़ पर खड़ी होगी।
ऑस्ट्रेलियाई हार से भारत को संतुष्ट नहीं होना है क्योंकि स्टीव वॉ और रिकी पोंटिंग के देश के खिलाड़ी भले ही स्लो पिच पर कामयाब नहीं हो सके, मगर हर बार ऐसा ही होगा-यह जरूरी नहीं। भारत को अपनी ओपनिंग जोड़ी को ठीक करने की जरूरत आन पड़ी है। ओपनिंग जोड़ी अगर बेहतर साझेदारी से रन खड़े कर देती है तो मिड्ल ऑर्डर पर बोझ कम होता है। वैसे, भारत की इस जीत का सेहरा जिन अन्य लोगों के माथे पर बँधा होना चाहिए उनमें चयनकर्ताओं को भी शामिल किया जाना चाहिए तथा खासतौर पर कप्तान की प्रशंसा होनी चाहिए। चेपॉक स्टेडियम की पिच धीमी है और इसके लिए जानबूझकर तीन फिरकी गेंदबाजों को सामने लाना जोखिम भरा फैसला था। लेकिन अश्विन, जदेजा और कुलदीप की मौजूदगी भी भारत के काम आई।
दिली सुकून के लिए बधाई
प्रतियोगिता में जीत के साथ हुए आगाज का पूरे देश ने तहेदिल से स्वागत किया है तथापि मजबूत टीम के समक्ष भारत की तैयारी कैसी है अथवा कहां-कहां कमजोरी है, इसकी भी समीक्षा होनी चाहिए। जीत की बधाई के साथ ही गलतियों से सबक लेने के सिलसिले को जो अपनाता है, वही इतिहास में लीक खींचने में कामयाब होता है। सनद रहे कि क्रिकेट को पसंद करने वाले लोगों की संख्या दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में ही है और यही वजह भी है कि अपने हर प्रारूप में यह खेल भारत में हिट रहा है। देश के खेल प्रेमियों को ऑस्ट्रेलिया की हार से मिले दिली सुकून के लिए भारतीय टीम को बधाई।