रिम्स निदेशक को हाईकोर्ट की फटकार

कहा, काम नहीं करना चाहते हैं तो रिजाइन दें

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रांची : रिम्स की लचर व्यवस्था व फोर्थ ग्रेड कर्मचारियों की नियुक्ति मामले की सुनवाई के दौरान झारखंड हाईकोर्ट ने रिम्स निदेशक को कड़ी फटकार लगाई।

कोर्ट के आदेश के आलोक में स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह कोर्ट में सशरीर उपस्थित हुए। कोर्ट ने रिम्स निदेशक के खिलाफ कड़ी टिप्पणी की। मौखिक कहा कि रिम्स निदेशक काम नहीं करना चाहते हैं, ऐसे में उन्हें रिजाइन कर देना चाहिए।

वे रांची की बजाय दिल्ली या विदेश में ज्यादा समय बिताना चाहते हैं। इतना ही नहीं कोर्ट ने मौखिक कहा कि रिम्स डायरेक्टर के खिलाफ अवमानना का मामला भी चलाएंगे। अब मामले की अगली सुनवाई अगले मंगलवार को होगी।

कोर्ट ने मौखिक कहा कि रिम्स में स्वीकृत पद पर नियमित नियुक्ति का आदेश हाईकोर्ट ने दिया था। उसके बाद भी आउटसोर्सिंग पर नियुक्ति क्यों की गई? रिम्स ने इस संबंध में राज्य सरकार से मार्गदर्शन क्यों मांगा?

जबकि स्वीकृत पद पर स्थायी नियुक्ति का कोर्ट का आदेश था। खंडपीठ ने कहा कि सरकार की ओर से जो आउटसोर्सिंग से रिम्स में नियुक्ति के लिए जो संकल्प सरकार की ओर से निकाला गया था, वह सही निर्णय नहीं था।

क्योंकि इससे संबंधित मामला अभी कोर्ट में चल रहा है। संकल्प में सरकार की ओर से रिम्स में रेगुलर नियुक्ति और आउटसोर्सिंग दोनों तरीके से नियुक्ति की बात कहीं गई थी,

जबकि कोर्ट ने रिम्स में आउटसोर्सिंग से नियुक्ति नहीं करने का निर्देश दिया है। रिम्स ने नियुक्ति के संबंध में सरकार से किस कानून के द्वारा मार्गदर्शन मांगा गया, जबकि रिम्स में नियमित नियुक्ति से संबंधित मामला हाईकोर्ट में लंबित है।

कोर्ट ने रिम्स में फोर्थ ग्रेड पर नियुक्ति से संबंधित रिट याचिका पर ही सुनवाई की। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने मौखिक कहा कि रिम्स कि चतुर्थवर्गीय पदों पर नियुक्ति के विज्ञापन में रिम्स ने कैसे लिखा है कि झारखंड के नागरिक ही आवेदन कर सकते हैं. नागरिक देश का होता है, राज्य का नहीं।

कोर्ट ने कहा कि हालांकि बाद में सरकार ने नए विज्ञापन में इसमें संशोधन कर दिया. लेकिन इससे कई ऐसे उम्मीदवार वंचित हो गए जिनकी उम्र सीमा बीत गई।

सुनवाई के दौरान रिम्स ने भी माना कि नए विज्ञापन में गलती हुई है. रिम्स की ओर से अधिवक्ता डॉ अशोक कुमार सिंह ने पैरवी की।

बता दें कि पूर्व में कोर्ट ने नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। उल्लेखनीय है कि पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने निर्देश दिया था कि रिम्स में फोर्थ ग्रेड सहित अन्य के लिए किये गये नये विज्ञापन के आधार पर जो परीक्षा होगी और उसमें जो चयनित होंगे उनकी नियुक्ति इस रिट याचिका में पारित आदेश से प्रभावित होगा।

दरअसल, रिम्स में फोर्थ ग्रेड की नियुक्ति के लिए 8 मार्च 2019 को विज्ञापन निकाला गया था. इसमें लैब अटेंडेंट तथा वार्ड अटेंडेंट के करीब 169 पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकला था।

जिसके आधार पर अभ्यर्थियों का चयन भी हो गया था, लेकिन अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया था। इसके खिलाफ प्रार्थियों की ओर से झारखंड हाइकोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर नियुक्ति पत्र निर्गत कराने का आग्रह किया गया था।

हालांकि बाद में रिम्स ने इस विज्ञापन को रद्द कर दिया था। एक पीआइएल के आदेश के अनुपालन में रिम्स की ओर से 20 मई 2022 को लैब अटेंडेंट, वार्ड अटेंडेंट सहित अन्य पदों के लिए एक नया विज्ञापन निकाला गया। प्रार्थियों ने इस नए विज्ञापन को भी हाइकोर्ट में चुनौती दी है।

 

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