Independence Day 2023 : Japan से संबंधित है भारत की आजादी…!!

143

ब्यूरो रांची : आज पूरा देश आजादी के 76 वर्ष पूरे होने पर स्वतंत्रता दिवस का पर्व मना रहा है। देशभर में आजादी की धूम है और यही वो दिन था जब भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी। लेकिन क्या आपने कभी ये सोचा है कि हम 15 अगस्त को ही स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाते हैं? पंद्रह अगस्त को ही क्यों आजाद हुआ भारत? अंग्रेजों ने क्यों इसी तारीख को भारत की आजादी के लिए चुना? अगर नहीं पता है तो हम आपको बताते हैं। इसके पीछे का कारण बेहद दिलचस्प है और जापान से जुड़ा हुआ है। हम आपको इसके पीछे का ऐतिहासिक कारण बताते हैं।  दरअसल, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजों को लगने लगा था कि वह भारत पर ज्यादा दिनों तक राज नहीं कर पाएंगे, क्योंकि स्वतंत्रता आंदोलन अपने चरम पर था।

इसीलिए उन्होंने भारत को सत्ता वापस करने का फैसला कर लिया। अपने इस फैसले को अमलीजामा पहनाने के लिए उन्होंने लॉर्ड लुईस माउंटबेटन को चुना। माउंटबेटन भारत के अंतिम ब्रिटिश गवर्नर-जनरल थे। स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कई वर्षों और महीनों के संघर्ष, कठिनाई और अहिंसा अभियानों के बाद ब्रिटिश संसद ने आखिरकार लॉर्ड माउंटबेटन को 30 जून 1948 तक सत्ता ट्रांसफर करने का जनादेश दिया था। लेकिन माउंटबेटन ने तारीख को आगे बढ़ा दिया और 15 अगस्त 1947 को सत्ता ट्रांसफर की तिथि के रूप में निर्धारित किया। भारत को आजादी दिलाने के लिए हमारे, स्वतंत्रता सेनानी लगातार संघर्ष कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर अंग्रेजों की डिवाइड एंड रूल की नीति की वजह से देश के कुछ हिस्सों में हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच भी संघर्ष चल रहा था।

माहौल अंग्रेजों के नियंत्रण से बाहर होता जा रहा था। आजाद भारत के पहले भारतीय गवर्नर जनरल सी राजगोपालाचारी ने कहा कि माउंटबेटन ने आजादी की तारीख को आगे बढ़ाने का फैसला इसलिए लिया ताकि देश में कोई रक्तपात या दंगा न हो। उन्होंने कहा कि यदि माउंटबेटन 1948 तक इंतजार करते तो ट्रांसफर करने के लिए कोई शक्ति नहीं बची होती। माउंटबेटन ने द्वितीय विश्व युद्ध में जापान के आत्मसमर्पण की दूसरी वर्षगांठ को चिह्नित करने के लिए भारतीय स्वतंत्रता की तारीख के रूप में 15 अगस्त को चुना।

फ़्रीडम एट मिडनाइट किताब में कहा गया है कि माउंटबेटन ने दावा किया था कि उन्होंने एकाएक इस तारीख को चुना। इस तारीख को चुनने के पीछे एक प्रश्न का उत्तर था जिसके जरिए वे यह बताना चाहते थे कि माउंटबेटन ही पूरे आयोजन के मास्टर थे। जब उनसे पूछा गया कि क्या कोई तिथि निर्धारित की गई है, तब उन्हें पता था कि जल्द ही यह होगा। उनका अनुमान था कि यह अगस्त या सितंबर में होगा, और फिर इसी कारण उन्होंने 15 अगस्त को भारत की आजादी के लिए चुन लिया। ऐसा करने के पीछे उन्होंने तर्क दिया कि 15 अगस्त को ही द्वितीय विश्व-युद्ध में जापान के सरेंडर को दो साल पूरे हो रहे थे। माउंटबेटन के निर्णय के बाद, ब्रिटिश हाउस ऑफ कॉमन्स ने 4 जुलाई, 1947 को भारतीय स्वतंत्रता विधेयक पारित किया। इस तरह भारत 15 अगस्त 1947 को आजादी का पर्व मनाने लगा।

 

ये भी पढ़ें : झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और ईडी में ठनी, सोरेन ने लिखा ईडी को कड़ा पत्र