आईपीएल के हीरो, विदेशों में जीरो

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खेल जगत भी अजीब है। यहां किसे-कब-कितनी ऊंचाई पर उड़ने का मौका मिले, कौन कब नीचे गिर जाय – यह दावे के साथ कोई नहीं कह सकता।

भारत में वैसे तो बहुतेरे खेल खेले जाते हैं लेकिन क्रिकेट को जितनी प्रशंसा मिलती है या क्रिकेटरों को भारतीय समाज में जो सम्मान हासिल है, उतना किसी और खिलाड़ी के बारे में नहीं कहा जा सकता। जाहिर है कि  इसके लिए देश के पूर्व क्रिकेटरों ने काफी मशक्कत की है।

इस खेल को जन-जन तक पहुंचाने में कमोबेश सरकार की भूमिका भी कम नहीं रही है। इस खेल के प्रति भारतीयों का लगाव ही है जिससे देश को दो बार विश्वकप हासिल हुआ है।

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जाहिर है कि इस खेल को नियंत्रित करने वाले बोर्ड की कमाई भी करोड़ो-अरबों में होती होगी और उस कमाई से नए-नए प्रोजेक्ट लाए गए हों। क्रिकेट की लोकप्रियता ही है जिसके कारण दुनिया भर के नामचीन खिलाड़ी भारत आते हैं और फटाफट क्रिकेट के नवीनतम रूप 20-20 के लिए गठित हो रही टीमों में नीलामी की फेहरिस्त में शामिल होते हैं। भारत के घरेलू क्रिकेट में आईपीएल ने एक नया मुकाम हासिल किया है।

खिलाड़ियों की इस नीलामी में हजारों करोड़ रुपये का वारा-न्यारा होता है। मतलब यह कि भारत के आईपीएल ने क्रिकेट को नई दिशा दी है। इसे सराहनीय ही कहा जाएगा क्योंकि इस प्रतियोगिता में कुछ ऐसे खिलाड़ियों का नाम भी शामिल हो जाता है जिन्हें इंडिया टीम के प्लेइंग इलेवेन में दाखिल होने का मौका नहीं मिलता।

लेकिन कुफ्र तब होती है जब आईपीएल के मंच पर खेलने वाली हमारी भारतीय टीम एक साथ मिलकर वर्ल्डकप खेलने जाती है तो चारों खाने चित्त हो जाती है।

घरेलू पिच पर रनों का पहाड़ खड़ा करने वाले हमारे रणबाँकुरे आईपीएल के जरिए दुनिया भर के तमाम बड़े खिलाड़ियों के साथ भारतीय जमीन पर ही हर सीजन में खेल रहे होते हैं।

सभी खिलाड़ी एक-दूसरे से परिचित होते हैं, एक-दूसरे की खासियत के साथ ही कमजोरियों से भी वाकिफ रहते हैं। फिर भी विश्वकप की प्रतियोगिता में हमारी टीम हार कर लौट आती है। इसकी वजह क्या है तथा उसका समाधान क्या है- इस पर अब गंभीरता से सोचने की जरूरत है। खिलाड़ियों के साथ ही क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड को भी इस दिशा में गंभीर होना पड़ेगा।

यदि निजी जमीन पर रनों का ढेर लगाया जाता है तो क्या इसका मतलब यह है कि आईपीएल में कमाई अधिक होने के कारण ही ऐसा होता है। तो फिर विश्वकप प्रतियोगिता में फिसड्डी होने की वजह क्या है। पैसों के लिए या देश के लिए- किसके लिए खेलना अधिक श्रेयस्कर है, इसका भी निराकरण होना चाहिए।

इसी प्रसंग में यह भी कहा जा सकता है कि अतीत में कई खिलाड़ियों के नाम सट्टाबाजार या मैच फिक्सिंग से भी जुड़ते रहे हैं। सटोरियों की पहुंच किसी मैच के दौरान किन प्रभावशाली लोगों के जरिए क्रिकेटरों तक हो जाती है- इसका भी खुलासा किया जाय तो खेल-प्रेमियों का भला होगा।

आईपीएल की नीलामी सराहनीय है, खिलाड़ियों को होने वाली कमाई का स्वागत है लेकिन विश्वकप खेलने वाली या भारत के लिए विदेशों में मैच खेलने वाली इंडियन टीम का घुटने टेक देना निंदनीय है। अफसोस है कि आईपीएल के हीरो, देश के लिए खेलते समय जीरो बन जाते हैं।