जांच एजेंसियों पर सवाल

सीबीआई और ईडी को बंगाल के सियासी मैदान में बच्चों के खेलने की चीज की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां तक कि इन एजेंसियों के निरीह चेहरे तब और दयनीय लगने लगते हैं जब अदालत इनसे सवाल करती है और जवाब में ये गर्दन झुका लिया करते हैं। ताजा घटना में तृणमूल कांग्रेस के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को लेकर ईडी को फटकार लगी है।

71

देश में कानून का राज कायम रखने के लिए संविधान के तहत अनेक प्रावधान तय किए गए हैं। उनमें जांच एजेंसियों को भी शामिल किया गया है। ये एजेंसियां समय-समय पर घटनाओं की जांच करती हैं, उनसे जुड़े सबूतों को अदालत तक ले जाती हैं जिनपर बाद में अदालतें सुनवाई करके फैसले लिया करती हैं। देश के अलावा कई राज्यों में भी अपनी कुछ जांच एजेंसियां काम कर रही होती हैं जो समय-समय पर संबंधित सरकारों को रिपोर्ट करती हैं। इनमें सबसे ताकतवर और प्रभावशाली एजेंसियों में सीबीआई और ईडी का नाम सबसे ऊपर आता है। लोगों को इस बात का भरोसा भी होता है कि जिन घटनाओं की जांच इन एजेंसियों के जरिए होती है, उनमें अपराधी जरूर कानून की चौखट तक पहुंचाए जाते हैं।

एजेंसियों के निरीह चेहरे

लेकिन पश्चिम बंगाल में इसका उल्टा हो रहा है। सीबीआई और ईडी को बंगाल के सियासी मैदान में बच्चों के खेलने की चीज की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। यहां तक कि इन एजेंसियों के निरीह चेहरे तब और दयनीय लगने लगते हैं जब अदालत इनसे सवाल करती है और जवाब में ये गर्दन झुका लिया करते हैं। ताजा घटना में तृणमूल कांग्रेस के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को लेकर ईडी को फटकार लगी है। अदालत ने बाकायदा ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी को अयोग्य करार देते हुए उन्हें बंगाल में हो रही शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच से बाहर कर दिया है। उनके बदले किसी योग्य व्यक्ति को जांच का दायित्व सौंपने को कहा गया है। यह कम से कम बंगाल में ईडी के दामन पर लगा एक दाग है।

दरअसल शिक्षक भर्ती घोटाले में राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी की करीबी अर्पिता के घर से करोड़ों रुपये की बरामदगी के बाद से ही राज्य में हाहाकारी माहौल बनना शुरू हो गया था। इसके बाद प्राइमरी शिक्षा बोर्ड के लोग भी नपने लगे। अदालत के आदेश पर मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई तथा बाद में ईडी को भी इसमें शामिल कर लिया गया। कई लोग इसके बाद गिरफ्तार हुए जिनके तार लगातार मुख्यमंत्री के परिवार से जुड़ने लगे। कालीघाट के काकू भी इसी कड़ी में शामिल हुए जिन्हें बाद में गिरफ्तार किया गया।

काम करने का तरीका यही

इसके बाद ईडी ने अदालत को लिखित तौर पर बताया कि अभिषेक बनर्जी की कंपनी लीप्स एंड बाउंड्स के खाते में शिक्षक भर्ती घोटाले से जुड़ी रकम भेजी गई थी। अदालत ने अभिषेक से पूछताछ के लिए एजेंसिय़ों को खुली छूट दे दी। लेकिन अभिषेक से पूछताछ के बावजूद ईडी ने अदालत को कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया। यह मामला तब और हास्यास्पद हो गया जब ईडी की टीम सांसद अभिषेक बनर्जी के बैंक खाते का भी उल्लेख नहीं कर सकी। इसी बात से नाराज अदालत ने ईडी की जांच टीम के मुखिया को अयोग्य करार देते हुए हटाने का फरमान जारी कर दिया है। इस घटना से ईडी की छवि खराब हुई है।

आम तौर पर यह चर्चा हो रही है कि यदि केंद्रीय एजेंसियों के काम करने का तरीका यही है तो उससे बेहतर राज्य पुलिस ही है। सियासत से जुड़े लोगों की ओर से तृणमूल कांग्रेस के लोगों को राजनीतिक दुश्मनी के कारण केंद्र द्वारा फंसाने का भी आरोप लगाया जा रहा है। लोग हैरत में हैं कि ईडी या सीबीआई जैसी नामचीन एजेंसियां बंगाल में की जा रही जांच को किसी मुकाम तक ले जाने में देरी क्यों कर रही हैं। एजेंसियों को अपनी छवि सुधारने की जरूरत है।