रामगढ़ : शारदीय नवरात्र में प्रसिद्ध रजरप्पा मां छिन्नमस्तिका का दरबार सजकर तैयार हो चुका है। इस बार बंगाल से आए कलाकारों ने इस मंदिर को दक्षिणेश्वर काली मंदिर का रूप दिया है। इस श्रृंगार के बाद माता का दरबार अद्भुत छटा बिखेर रहा है। मंदिर की सजावट को देखने के लिए पूरे प्रदेश से लोग आ रहे हैं। इसके अलावा बंगाल और बिहार से आने वाले श्रद्धालुओं का भी तांता लगा हुआ है। दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी शक्तिपीठ रजरप्पा में मां का छिन्नमस्तिका मंदिर है। इस मंदिर में बिना सिर वाली देवी मां की पूजा की जाती है। मान्यता है कि मां इस मंदिर में दर्शन के लिए आए सभी भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। रजरप्पा के भैरवी-भेड़ा और दामोदर नदी के संगम पर स्थित मां छिन्नमस्तिका के मंदिर को आस्था का धरोहर भी माना जाता है। यहां साल भर श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है। लेकिन शारदीय नवरात्र और चैत्र नवरात्र के समय यहां भक्तों की संख्या दोगुनी हो जाती है।
ये भी पढ़ें : सदर अस्पताल के पांचवें तल्ले से कूदकर महिला ने खुदकुशी का किया प्रयास
छिन्नमस्तिका मंदिर के अलावा यहां महाकाली मंदिर, सूर्य मंदिर, दस महाविद्या मंदिर, बाबाधाम मंदिर, बजरंगबली मंदिर, शंकर मंदिर और विराट रूप मंदिर के नाम से कुल सात मंदिर हैं। पश्चिम दिशा से दामोदर तथा दक्षिण दिशा से कलकल करती भैरवी नदी का दामोदर में मिलना मंदिर की खूबसूरती का बढ़ावा देता है। मंदिर के अंदर जो देवी काली की प्रतिमा है, उसमें उनके दाएं हाथ में तलवार और बाएं हाथ में अपना ही कटा हुआ सिर है। शिलाखंड में मां की तीन आंखें हैं। इसके साथ ही वह बायां पैर आगे की ओर बढ़ाए हुए कमल पुष्प पर खड़ी हुईं हैं। उनके पांव के नीचे विपरीत रति मुद्रा में कामदेव और रति शयनावस्था में हैं।