केष्टो की जगह बीरभूम का सियासी मोर्चा संभालेगी ममता
सिद्दीकुल्ला-अरुप की जिम्मेदारी बढ़ी, अल्पसंख्यक हमारे साथ हैं ममता
कोलकाताः सागरदीघी चुनाव के हाल के नतीजे, बड़े-बड़े तृणमूल नेताओं की गिरफ्तारी और अणुव्रत(केष्टो) मंडल की हिरासत ने आखिरकार पार्टी सुप्रीमो ममता बनर्जी के माथे पर शिकन ला दिया है जिसका नतीजा यह रहा कि शुक्रवार को उन्होंने बीरभूम जिले की राजनीतिक गतिविधियों का जिम्मा अपने ऊपर ही लेने का ऐलान कर दिया।
कुछ ही दिनों में राज्य में पंचायत चुनाव होने वाले हैं। इसको लेकर सभी राजनीतिक पार्टियां कमर कस ली हैं। भला ऐसा क्यों न हो। अगले साल आम चुनाव होने वाले हैं। इसको देखते हुए पंचायत चुनाव को सभी लोग बंगाल में सेमीफाइनल मान रहे हैं।
प्रदेश की सीएम ममता बनर्जी भी पंचायत चुनाव को लेकर काफी गंभीर हैं। इसके दो कारण हैं। पहला कारण इन दिनों तृणमूल के हेवीवेट नेता किसी न किसी भ्रष्टाचार के मामले में जेल में हैं। दूसरा कारण है कि कुछ दिन पहले ही सागरदीघी में हुए विधानसभा उप चुनाव में तृणमूल कांग्रेस मुह के बल गिरी है। भ्रष्टाचार मामले में बीरभूम के दिग्गज तृणमूल नेता अणुब्रत मंडल गिरफ्तार हैं और इस समय ईडी उसे दिल्ली ले गया है।
इस गिरफ्तारी के बाद बीरभूम इलाका पूरी तरह से खाली है। इस इलाके में कोई दूसरी पार्टी सेंध न लगाए, इसको लेकर ममता काफी तनाव में हैं। इसे देखते हुए ही उन्होंने खुद इस इलाके की जिम्मेवारी अपने कंधे पर ली है। शुक्रवार को ममता ने एक बैठक में कई लोगों की सांगठनिक जिम्मेदारी में बदलाव किए।
इसके अलावा अल्पसंख्यक नेता व मंत्री सिद्दीकुल्ला चौधरी की जिम्मेदारी बढ़ा दी गई है। सबीना यास्मीन के अलावा इस बार सिद्दीकुल्ला मालदह, मुर्शिदाबाद और उत्तरी दिनाजपुर के संगठन की कमान भी संभालेंगे।
वहीं, अरुप विश्वास को नदिया, पूर्वी बर्दवान और दार्जिलिंग की जिम्मेदारी दी गई है। मलय घटक को बांकुड़ा, पुरुलिया व पश्चिम बर्दवान के संगठनात्मक देखरेख की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। तापस राय को दक्षिण दिनाजपुर की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन इनमें से कोई भी पर्यवेक्षक नहीं है।
इस संदर्भ में सांसद सुदीप बनर्जी ने कहा कि पार्टी द्वारा किसी को पर्यवेक्षक घोषित नहीं किया गया है। ये लोग पार्टी की ओर से जिले का संगठन देखेंगे। सूत्रों का मानना है कि सागरदीघी के नतीजों के मद्देनजर अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी भी बदली गई है। नुरुल इस्लाम के खिलाफ कर्तव्य में लापरवाही के आरोपों के चलते अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ की जिम्मेदारी मुशर्रफ हुसैन को दी गयी है।
बैठक में सीएम ममता ने कहा कि अल्पसंख्यक हमारे साथ हैं। अल्पसंख्यक वोट कम नहीं हुए। सागरदीघी में हार हमारी कमजोरी के कारण हुई। ममता का मानना है कि हिंदू-मुसलमान की बात नहीं रही होगी क्योंकि ऐसा होता तो सुब्रत साहा हिंदू होकर भी सागरदीघी से तीन बार नहीं जीतते?
बहरहाल पार्टी सुप्रीमो ने संकेत दिया है कि नुकसान के कारणों की समीक्षा के लिए एक विशेष समिति गठित होगी। वैसे, भरोसेमंद सूत्र बताते हैं कि पूरे बंगाल को हाथ के तालू की तरह पहचानने वाली ममता बनर्जी ने शुक्रवार की बैठक में ही पंचायत चुनाव का पूरा ब्लूप्रिंट तैयार कर दिया है जिसकी घोषणा नहीं की गई है।