PM मोदी-राजनाथ सिंह ने लालकृष्ण आडवाणी को दी जन्मदिन की बधाई, घर पहुंचकर जाना हालचाल

लालकृष्ण आडवाणी का 95वां जन्मदिन

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नई दिल्लीः भाजपा के सीनियर नेता और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लालकृष्ण आडवाणी का सोमवार को जन्मदिन है। इस मौके पर ने आडवाणी के आवास पर जाकर उन्हें जन्मदिन की बधाइयां दीं।  पीएम करीब 40 मिनट उनके साथ रहे और केक काटा।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी पूर्व डिप्टी पीएम आडवाणी की जन्मदिन की बधाई देने उनके आवास पहुंचे। सिंह ने ट्वीट करके खुद इसकी जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि आदरणीय आडवाणीजी के आवास पर जाकर उन्हें जन्मदिवस की शुभकामनाएं दीं। मैं भगवान से उनके अच्छे स्वास्थ्य और लम्बी आयु की कामना करता हूं।

राजनाथ सिंह ने ट्वीट करके कहा कि श्रद्धेय लाल कृष्ण आडवाणी जी को उनके जन्मदिवस पर ढेरों शुभकामनाएं। उनकी गिनती भारतीय राजनीति की कद्दावर हस्तियों में होती है।

देश, समाज और दल की विकास यात्रा में उनका अत्यंत महत्वपूर्ण योगदान रहा है। मैं उनके उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घायु होने की कामना करता हूं।’

अमित शाह ने ट्वीट करके आडवाणी को दी बधाई
गृह मंत्री अमित शाह ने ट्वीट करके सीनियर लीडर आडवाणी को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आदरणीय लालकृष्ण आडवाणी जी को जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।

आडवाणी जी ने अपने सतत परिश्रम से एक ओर देशभर में संगठन को मजबूत किया तो वहीं दूसरी ओर सरकार में रहते हुए देश के विकास में अमूल्य योगदान दिया। ईश्वर से उनके उत्तम स्वास्थ्य व सुदीर्घ जीवन की कामना करता हूं।’

2014 में आडवाणी नहीं बन पाए PM चेहरा
अगर लालकृष्ण आडवाणी के राजनीतिक सफर की बात करें तो साल 2009 उनके लिए काफी अहम है। 2009 में आडवाणी का एनडीए का पीएम उम्मीदवार बनाया गया था, लेकिन वह चुनावी समर में कामयाब नहीं हो पाए थे।

इसके बाद 2014 में उनके स्थान पर नरेंद्र मोदी को पीएम का चेहरा बनाने का फैसला हुआ था। इस तरह वह उप प्रधानमंत्री के पद पर तो रहे, लेकिन कभी पीएम नहीं बन सके।

हालांकि, लालकृष्ण आडवाणी ने कभी खुलकर अपने पीएम न बन पाने के बारे में कोई बात नहीं कही। लेकिन इससे बड़ा एक मलाल उनकी जिंदगी में रहा है, जिसके बारे में 2017 में लालकृष्ण आडवाणी ने खुलकर अपनी बात रखी थी।

लालकृष्ण आडवाणी का जन्म अविभाजित भारत में 1927 में सिंध के कराची में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। सिंध के पाकिस्तान में जाने का दर्द बयां करते हुए कहा कि भारत तब तक अधूरा है, जब तक सिंध इसमें शामिल नहीं होता है।

कम उम्र में ही RSS में शामिल हुए आडवाणी 
अविभाजित पाकिस्तान के कराची शहर में 1927 में जन्मे आडवाणी कम उम्र में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गए। बाद में उन्होंने जनसंघ के लिए काम किया, जहां उन्होंने अपनी संगठनात्मक क्षमताओं के साथ अपनी विशिष्ट पहचान स्थापित की।

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वह 1980 में भाजपा के संस्थापक सदस्यों में रहे और कई दशकों तक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के साथ पार्टी का मुख्य चेहरा बने रहे।

इस घटना को राष्ट्रीय राजनीति में एक युगांतकारी मोड़ के रूप में देखा जाता है जिसके बाद से भाजपा लगातार मजबूत होती चली गई।