रील और रीयल

हाल ही में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के एक रेलवे पुल पर असली जिंदगी को आभासी दुनिया में तब्दील करने तथा रील्स बनाने के मनोरंजन के चक्कर में दसवीं के तीन छात्रों की ट्रेन से कटकर मौत होने की खबर ने एक बार फिर से इस मसले को समाज के सामने ला दिया है कि क्या रील्स के जरिए कुछ कमाने के चक्कर में जोखिम भरे स्टंट करना बेहद जरूरी है।

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इंटरनेट के प्रयोग के साथ ही दुनिया को तेजी से विकास की दौड़ में शामिल करने तथा घटनाओं को दुनिया के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुंचाने में कुछ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों की अहम भूमिका रही है। तेजी से विकसित हो रहे सोशल मीडिया का प्रभाव ही है कि बहुत सी ऐसी घटनाएं हैं जिन्हें सरकार यदि दबाना भी चाहे तो आम लोग ऐसी खबरों को दुनिया के सामने पेश कर ही देते हैं। यही वजह है कि कभी-कभार सरकार को भी सोशल मीडिया के कुछ खास-खास प्रारूप से एलर्जी हो जाती है। इस पर नियंत्रण की बात भी हो रही है। लेकिन इस अंधी दौड़ में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो लुभावनी बातों या पैसे कमाने के चक्कर में खुद को लुटा देने से भी परहेज नहीं करते।

सोशल मीडिया का नशा

ऐसे लोगों पर सोशल मीडिया का नशा कुछ ऐसे सिर चढ़कर बोलता है कि बार-बार मनाही के बावजूद लोग जान गँवाने लगते हैं। हाल ही में पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले के एक रेलवे पुल पर असली जिंदगी को आभासी दुनिया में तब्दील करने तथा रील्स बनाने के मनोरंजन के चक्कर में दसवीं के तीन छात्रों की ट्रेन से कटकर मौत होने की खबर ने एक बार फिर से इस मसले को समाज के सामने ला दिया है कि क्या रील्स के जरिए कुछ कमाने के चक्कर में जोखिम भरे स्टंट करना बेहद जरूरी है।

सवाल यह है कि जो लोग इन रील्स को पेश कर रहे हैं क्या सारे लोगों की कमाई सोशल मीडिया के जरिए ही हो रही है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का आविष्कार करने वालों के जेहन में कभी भी यह बात नहीं रही होगी कि तरह-तरह की भंगिमा दिखाते लोग शौक के चक्कर में ही जान गँवा बैठेंगे। क्रिसमस के आगमन पर झारखंड या बंगाल के अलावा भी देश के कई इलाकों में लोग छुट्टियां बिताने जाते हैं और रील्स के चक्कर में जान गंवा बैठते हैं।

अनियंत्रित हो चुका यह समाज

पूछा जा सकता है कि बेहद अनियंत्रित हो चुका यह समाज इस अँधी दौड़ में कहां पहुंचेगा। इस दौर पर अंकुश की जरूरत है। यदि हर दूसरा-तीसरा व्यक्ति ऐसे ही रील्स के चक्कर में जान देता रहा या खुद को और खूबसूरत बताने की कोशिश में अर्द्धनग्न हो कर अपनी तस्वीरें पेश करता रहा तो फिर सामाजिक तानेबाने का क्या होगा। समाज के प्रबुद्ध लोगों तथा खासकर माता-पिता को इस दिशा में खास ध्यान देने की जरूरत आन पड़ी है।

सबसे खास बात यह है कि एक निश्चित वयःसीमा से पहले ही यदि नौनिहालों को उन जानकारियों से जोड़ दिया जाए जो उनके भावी जीवन के लिए सुखद नहीं हैं, तो फिर सोशल मीडिया का कल एक ऐसा भयानक चेहरा सामने आने वाला है जिसमें पूरा समाज कहीं खो जाएगा। सबसे अफसोस की बात तो यह है कि सरकार के पास भी ऐसे किसी भी प्लेटफॉर्म पर नियंत्रण करने का अभी तक कोई रास्ता नहीं दिखता। रील्स बनाने वालों की रीयल जिंदगी कहीं तबाह न हो जाए, इसका ध्यान सरकार के साथ ही समाज और परिवार के लोगों को रखना होगा। नियंत्रण हीन समाज भटक जाएगा, इस बात को जरूर ध्यान में रखा जाए।