कोलकाता : अगले साल देश में होने वाले आम चुनाव को देखते हुए सभी विपक्षी दल एकजुट होने के लिए आह्वान कर रहे हैं। इसी कड़ी में 12 जून को बिहार के राजधानी पटना में भाजपा विरोधी दलों की बैठक हो रही है। इस बैठक का नेतृत्व बिहार के सीएम नीतीश कुमार कर रहे हैं। इस बैठक में राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी शामिल होने के लिए आमंत्रण दिया गया है।
उम्मीद लगायी जा रही है कि इस बैठक में शामिल होने के लिए ममता 11 जून को ही पटना पहुंच जाएंगी। गौरतलब है कि पहले यह तय था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा बुलाई गई नीति आयोग की बैठक में शामिल होकर ममता बनर्जी नीतीश कुमार से मिलेंगी।
उसके बाद वे दिल्ली से ही पटना आएंगी। लेकिन इस बैठक की तिथि में बदलाव किया गया था और यह बैठक शनिवार को दिल्ली में हो गयी। ममता समेत 11 मुख्यमंत्री इस बैठक में शामिल नहीं हुए। हालांकि, ममता के दिल्ली न जाने पर भी उनके पटना जाने की योजना में कोई बदलाव नहीं आ रहा है।
गौरतलब है कि हाल ही में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कोलकाता आए थे और ममता से मुलाकात की थी। उस बैठक में नीतीश ने बिहार से शुरुआत करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे विपक्षी गठबंधन ने पस्त कर दिया था। तृणमूल सूत्रों के मुताबिक बैठक 12 जून को होने जा रही है।
बैठक के आयोजक बिहार के मुख्यमंत्री जदयू प्रमुख नीतीश के अलावा राजद नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रकाश यादव हैं। इस बैठक में पटना में तमाम बीजेपी विरोधी राजनीतिक दलों के शामिल होने की उम्मीद लगायी जा रही है।
इसके अलावा महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव व राकांपा प्रमुख शरद पवार के भी उपस्थित रहने की उम्मीद है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री और सीपीएम के केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन रहेंगे या नहीं। ज्ञात रहे कि शनिवार को दिल्ली में प्रधानमंत्री की नीति आयोग की बैठक में कांग्रेस के पिनाराई विजयन और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी शामिल नहीं हुए।
इस बैठक में कांग्रेस का कोई प्रतिनिधि शामिल होता है या नहीं, यह अलग से देखने वाली बात होगी। क्योंकि ममता पहले ही कह चुकी हैं कि वह कांग्रेस की धमकी को बर्दाश्त नहीं करेंगी और उनके बिना विपक्षी गठबंधन का आह्वान कर चुकी हैं। अलग-अलग समय पर अन्य विपक्षी दलों ने भी कांग्रेस की छत्रछाया से बाहर जाकर विपक्षी एकता की बात कही है।