सोशल मीडिया कितना सोशल

कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आज धड़ल्ले से नंगा नाच हो रहा है। हर वर्ग के लोग उनमें शामिल हैं। पश्चिमी देशों के लोग भी भारतीय भाव-भंगिमा और फूहड़पन देखकर लजा जाएंगे-ऐसे ऐसे दृश्य परोसे जा रहे हैं। संयम, सहनशीलता या सादगी का संदेश देने वाला भारत आज सोशल मीडिया पर नंगा नाच कर रहा है।

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किसी भी चीज का आविष्कार समाज को और अधिक उन्नत बनाने के लिए किया जाता है। उन आविष्कारों के जरिए उम्मीद की जाती है कि इंसानी जिंदगी कुछ और समृद्ध होगी, काम करने में सहूलियत होगी और समाज का सामग्रिक विकास होगा। लेकिन उन आविष्कारों का जब अनैतिक प्रयोग शुरू होता है, जब आविष्कारों से छेड़खानी की जाती है तो विकास के सपने काफूर हो जाते हैं और सभ्य समाज में जीने का आदी इंसान मुंह छिपाने को मजबूर हो जाता है। ऐसे ही नवीनतम आविष्कारों में से एक है सोशल मीडिया

इंटरनेट की दुनिया ने सोशल मीडिया को और भी प्रचलित बना दिया है। जाहिर है कि इससे आदमी को जानकारी हासिल होती है, वह भी आनन-फानन में। किसी भी घटना की जानकारी के लिए अब अखबारों के दफ्तर या टीवी चैनलों को फोन नहीं किया जाता। यह सोशल मीडिया का ही करिश्मा है। हर खबर हमेशा आम लोगों की जेब तक पहुंचा दी जाती है, यह बात दीगर है कि उन खबरों की सच्चाई का पता लगाए बगैर ही समाज का एक वर्ग उबलने लगता है।

एक तरह का प्रहसन

इस सोशल मीडिया के जरिए दिन भर जितने संदेश भेजे जाते हैं, अगर भारत के आंकड़ों को देखा जाए तो ज्यादातर संदेश जन्मदिन की बधाई, प्रेम निवेदन, उपदेशामृत प्रसारण अथवा किसी न किसी राजनीतिक सिद्धांत के समर्थन में ही होते हैं। स्वस्थ बौद्धिक चर्चा की जो जगह सोशल मीडिया पर होनी चाहिए थी, वह नहीं हो पाती। नतीजतन आज सोशल मीडिया भी एक तरह का प्रहसन बन कर रहा गया है। इस कोढ़ में खाज का काम किया है इसके आर्थिक लाभ से जुड़ने की घटना ने। जैसे ही लोगों को पता चला कि सोशल मीडिया पर अपनी भाव-भंगिमा पेश करने से देखने वालों की वाहवाही के अलावा पैसे भी कमाए जा सकते हैं, बस क्या था। पिल पड़े हैं लोग रील्स बनाने में।

फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स अथवा ऐसे ही कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आज धड़ल्ले से नंगा नाच हो रहा है। हर वर्ग के लोग उनमें शामिल हैं। पश्चिमी देशों के लोग भी भारतीय भाव-भंगिमा और फूहड़पन देखकर लजा जाएंगे-ऐसे ऐसे दृश्य परोसे जा रहे हैं। संयम, सहनशीलता या सादगी का संदेश देने वाला भारत आज सोशल मीडिया पर नंगा नाच कर रहा है। शर्मिंदगी की हदें पार कर चुकीं महिलाएं या पुरुष खुद को सोशल मीडिया पर कैसे परोसें कि उन्हें लाइक और शेयर किया जाए- रातदिन इसी की उन्हें चिंता सता रही है। बड़ा अजीब दौर है। लोगों ने आहिस्ता-आहिस्ता लाज के पर्दे से बाहर अधनंगा नाचना शुरू ही किया था कि डीपफेक भी शुरू हो गया है। समाज का ध्यान मौलिक बातों से अलग आभासी दुनिया की ओर ले जाने में जुटी सरकार को भी डीपफेक से डर लगने लगा है।

चिंता का विषय

समाज में परोसे जा रहे पोर्न पर रोक कैसे लगे, इसकी चिंता सताने लगी है। सोशल मीडिया को लोगों ने एंटी सोशल बनाने की कमर कस ली है। इस आविष्कार का प्रयोग समाज को जागरूक करने के लिए किया जाना था, उस पर लोग नंगे नाच रहे हैं। गंदगी जितनी हो फैलायी जा रही है क्योंकि इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों पर लाइक तो है, डिस्लाइक कम है। शेयर तो है, डिलीट या डिस्कार्ड कम है।  नशे में चूर इन युवक-युवतियों का भविष्य क्या होगा- यह चिंता का विषय है। नंगा नाच करने वालों का यदि कोई आज हो भी, तो निश्चित तौर पर कल नहीं है।