कोलकाताः पश्चिम बंगाल के राजधानी कोलकाता समेत राज्यभर में डेंगू का प्रकोप जारी है. वहीं, चक्रवात के प्रभाव से दक्षिण कोलकाता में हुई बारिश से डेंगू के मामले में बढ़ोतरी दर्ज की गयी है।
दीपावली के बाद एक बार फिर राज्य में डेंगू के मामलों में तेजी के साथ उछाल आया है. राज्य स्वास्थ्य विभाग के सुझाव पर कोलकाता नगर निगम (केएमसी) के स्वास्थ्य विभाग के अधीन वेक्टर कंट्रोल डिपार्टमेंट की ओर से डेंगू को लेकर एक सर्वे किया गया है।
इसके अनुसार, डेंगू फैलाने वाले मच्छर उत्तर कोलकाता की तुलना में दक्षिण कोलकाता में अधिक पनप रहे हैं. डेंगू फैलाने वाले एडीज मच्छरों के प्रजनन के लिए दक्षिण कोलकाता में उपयुक्त माहौल है.
इस वर्ष जनवरी से अक्तूबर मध्य तक केवल दक्षिण कोलकाता से डेंगू के 80 फीसदी मामले सामने आये हैं. इसी अवधी में उत्तर कोलकाता में मात्र 22 फीसदी लोग डेंगू की चपेट में आये हैं.
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निगम के 8 से लेकर 14 बोरो जो कि दक्षिण कोलकाता में पड़ते हैं. उक्त बोरो से डेंगू के सबसे अधिक मामले सामने आ रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, कोलकाता में अब तक 4, 000 से अधिक लोग डेंगू के शिकार हो चुके हैं, जबकि 14 लोगों की मौत हुई है. राज्य में लगभग 40 हजार लोग डेंगू की चपेट में आये हैं और करीब 33 लोगों की जान गयी है.
सर्वे रिपोर्ट के अनुसार खुले नाले, खाली जमीन, कुएं और तालाबों के कारण डेंगू फैल रहा है. दक्षिण कोलकाता में खाली जमीन, खुले नाले- तालाब और कुओं की संख्या अधिक है।
बता दें कि, कोलकाता नगर निगम अधीन कुल 16 बोरो हैं. एक से लेकर 15 बोरो में 11813 कुएं, 12751 खुले नाले (ओपेन ड्रेन) , 1923 तालाब, 4528निर्माणाधीन इमारते और 5029 खुली जमीनें है.
दक्षिण कोलकाता के बोरो आठ से 14 में कुल 88 फीसदी खुले नाले, 77.5 फीसदी तालाब, 63 प्रतिशत निर्माणाधीन इमारतें, 85 कुएं और 88 फीसदी खाली जमीन है.
राज्य में डेंगू से एक और मौत
बैरकपुरः जगदल निवासी 55 वर्षीय दीनबंधु घोष एक सप्ताह से बेलेघाटा आईडी में भर्ती थे। हाल ही में शारीरिक स्थिति बिगड़ने पर सीसीयू में शिफ्ट किया गया था। बुधवार रात उसकी मौत हो गई। डेथ सर्टिफिकेट में डेंगू के संक्रमण का जिक्र होता है।
मच्छरों से बचने के उपाय
-अपने घर के आसपान पानी जमा ना होने दें.
-साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखें.
-घर के बर्तन, बाल्टी, कूलर, घड़ा आदि में पानी खुला ना छोड़ें.
-बारिश के मौसम में रात में मच्छरदानी लगाकर सोएं.
-बच्चों को फुल बाजू के कपड़े पहनाएं.
-उन्हें देर शाम तक बाहर खेलने ना भेजें.
-घर के खिड़की-दरवाजे शाम होने से पहले ही बंद कर लें.