रांचीः प्राकृति के गोद में बसे झारखंड की खूबसूरती यहां के जंगलो से है। प्राचीन काल से वन के साथ झारखंड का एक अनूठा रिश्ता है।
वहीं इन झारखंड राज्य के इन खूबसूरत जंगलों में कई ऐसे जानवरों का भी बसेरा है । जिसके बारे में लोग कम जानते है या फिर जिनकी प्रजाति विलुप्त होने के कगार पर हैं।
हाल ही में वन जीवों और प्राकृति से लगाव रखने वाले लोगों के लिए कोडरमा से एक अच्छी खबर सामने आई थी। वन्य जीवों और जंगलों की हिफाज़त करने को लेकर कोडरमा और हजारीबाग के जंगली इलाकों में सर्वेक्षण कर रही टीम ने कई जगह कैमरे लगाए है।
वही जंगलों में लगाए गए कैमरों में ग्रे-वुल्फ के अलावा कोडरमा में तेंदूआ के पैरों के निशान मिले हैं । विशेषज्ञों की माने तो आजादी के पहले देशभर में लाखों की संख्या में ग्रे वुल्फ हुआ करते थे।
वहीं साल 2020 के सर्वेक्षण के अनुसार इनकी संख्या घटकर महज 1000 तक ही रह गई है।जबकि देश के कुछ राज्यों में अब ये जानवर विलुप्त के कगार पर हैं। ऐसे में कोडरमा के जंगल में इस जीव के होने के संकेत को बेहतर माना जा रहा है।
वन्य जीवों और जंगलों के संरक्षण के लिए भारतीय वन्य जीव संस्थान देहरादून की 10 सदस्यीय टीम झारखंड सरकार के वन विभाग के साथ मिलकर कोडरमा और हजारीबाग के जंगली इलाकों में सर्वेक्षण कर रही है।
जिसका मकसद कोडरमा और हजारीबाग के जंगली जानवरों की आबादी वाले क्षेत्र से गुजरने वाली 36 किलोमीटर लंबी डीएफसीसी रेल परियोजना से जीवों का संरक्षण करना है।
क्योंकि पिछले चार वर्षों में 35732 वन्य जीवों की रेलवे से मौत हुई है। दीपक आनंद के अनुसार, वन्य जीवों के संरक्षण के लिए सुरक्षा उपायों के साथ-साथ सफारी का भी प्लान तैयार किया जा रहा है।
मार्च 2023 तक सर्वेक्षण का काम पूरा किया जाएगा, जबकि दिसंबर 2023 तक इस पूरे प्लान के प्रस्ताव को भारत सरकार को दी जाएगी। इसके बाद कोडरमा में सफारी की भी संभावना को लेकर प्रस्ताव तैयार किया जायेगा।
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