पश्चिम बंगाल के राज्यपाल के रूप में एक वर्ष पूरे होने पर आनंद बोस ने कहा-

राज्य सरकार और राजभवन के बीच कोई टकराव नहीं

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कोलकाता, सूत्रकार : राज्यपाल सीवी आनंद बोस को बंगाल में एक साल पूरा हो गया है। एक साल बाद उनका आकलन है कि राजभवन और नवान्न के रिश्ते वैसे नहीं हैं, जैसे बाहर से दिखते हैं। आनंद बोस ने मंगलवार को बंगाल के राज्यपाल के रूप में एक साल पूरा कर लिया। इस मौके पर राजभवन में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई गई थी। वहां बोस ने पिछले एक साल का अनुभव बताते हुए राज्य सरकार, सत्तारूढ़ पार्टी और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बारे में बातें कीं और उपस्थित सभी लोगों को आश्चर्यचकित कर दिया।

राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार और राजभवन के बीच ऐसा कोई टकराव नहीं है, जैसा कि कहा जाता है। साथ ही, उन्होंने कहा कि उन्होंने पिछले एक साल में अपने संवैधानिक सहयोगी और राज्य के मुख्यमंत्री के खिलाफ एक भी शब्द नहीं बोला या लिखा है। बता दें कि राज्य सरकार का पिछले फरवरी से ही राज्यपाल के साथ विवाद चल रहा है। कभी कुलपति की नियुक्ति को लेकर मतभेद रहा है तो कभी राज्यपाल राज्य में पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा की विभिन्न घटनाओं की आलोचना की। यहां तक ​​कि उन्होंने परोक्ष रूप से सत्ता पक्ष को निशाना बनाया। ऐसा देखा गया कि बिना पूर्व चर्चा के उन्होंने चुपचाप नीति परिवर्तन की सूचना दे दी। जिससे राज्य सरकार नाराज हो गयी। विभिन्न विभागों के प्रभारी मंत्री-विधायक नाराज हैं। उन्होंने राज्यपाल पर भी सार्वजनिक तौर पर हमला बोला।

राज्यपाल बोस ने मंगलवार को कहा कि मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच संबंधों में कई परतें हैं। मुख्यमंत्री जनता की जरूरतों को पूरा करेंगी। राज्यपाल उस मामले को संवैधानिक रूप से देखेंगे। दोनों को कानून का पालन करना होगा। लेकिन एक-दूसरे के प्रति सम्मान होगा तो काम अच्छा चलेगा। राज्यपाल के इस बात को सुनने के बाद सवाल खड़ा हो गया है, लेकिन एक साल बाद क्या राज्यपाल बोस राज्य सरकार को सुलह का संदेश दे रहे हैं?

प्रेस कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में राज्यपाल ने देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और अपने सभी सहयोगियों को धन्यवाद दिया। उनको अलग से मुख्यमंत्री का नाम लेते नहीं सुना गया। हालांकि, उन्होंने बंगाल और बंगाल के लोगों की प्रशंसा की। राज्यपाल ने कहा कि वह बंगाल आये और उन्हें बंगाल के लोगों से प्यार हो गया। बांग्ला मेरी कर्मभूमि है। राज्यपाल के रूप में यह जिम्मेदारी मेरे कंधों पर है। मैं पिछले एक साल से इसे पूरा करने की पूरी कोशिश कर रहा हूं। बोस ने कहा कि मूल रूप से दो कर्तव्य हैं- संविधान की रक्षा करना और लोगों को लाभ पहुंचाना। मैंने दोनों बातें मन से की हैं। लेकिन राज्यपाल ने राज्य सरकार के खिलाफ एक भी शब्द नहीं कहा। बल्कि उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कह रहा हूं कि सरकार की ओर से हिंसा या भ्रष्टाचार किया गया है। राजनीतिक दलों को हिंसा से जोड़ा जा सकता है लेकिन मुझे लगता है कि अगर हिंसा या भ्रष्टाचार होगा तो सरकार कार्रवाई करेगी।

नवान्न की राज्यपाल से शिकायत थी कि राज्य के मुख्यमंत्री को राज्य के सभी विश्वविद्यालयों का आचार्य चुनने के लिए विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को राज्यपाल ने मंजूरी नहीं दी। उस विवाद पर मंगलवार को गवर्नर बोस ने भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने बताया कि कोई भी सरकारी बिल नहीं रोका गया है। कुछ विधेयकों को राष्ट्रपति के पास विचार के लिए भेजा गया है, कुछ विधेयकों पर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा गया है लेकिन कोई भी विधेयक राजभवन में नहीं रोका गया है। राज्य ने दावा किया कि राज्यपाल कुलपतियों की नियुक्ति सहित कई मुद्दों पर कानून का पालन नहीं कर रहे हैं। इस संदर्भ में गवर्नर बोस ने कहा कि राज्यपाल का मुख्यमंत्री के साथ मतभेद हो सकता है, लेकिन दोनों को लोगों के बारे में सोचना होगा। मुख्यमंत्री और राज्यपाल दोनों को कानून का पालन करना होगा। राज्यपाल ने बताया कि मुख्यमंत्री निर्वाचित होता है और राज्यपाल नामित होता है। इसलिए दोनों पक्षों को एक-दूसरे की अहमियत को समझना होगा। राज्यपाल ने बंगाल ग्लोबल विजनेस समिट को लेकर टिप्पणी की कि वे मानसिक रूप में वहां मौजूद हैं।